पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पुलिस को धारा 161 के तहत ऑडियो, वीडियो द्वारा गवाहों के बयान दर्ज करने के निर्देश दिए

Live Law Hindi

16 Jun 2019 6:11 PM IST

  • P&H High Court Dismisses Protection Plea Of Married Woman Residing With Another Man

    Punjab & Haryana High Court

    "पंजाब राज्य के सभी जांच अधिकारियों को Cr.P.C की धारा 161 के तहत ऑडियो, वीडियो और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के जरिए बयान दर्ज करने के लिए निर्देशित किया जाता है।"

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब राज्य के सभी जांच अधिकारियों को Cr.P.C की धारा 161 के तहत ऑडियो, वीडियो और इलेक्ट्रॉनिक साधनों द्वारा बयान दर्ज करने का निर्देश दिया है।

    दरअसल न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति हरिंदर सिंह सिद्धू की पीठ हत्या के मामले में एक दोषी द्वारा दायर अपील पर विचार कर रही थी।

    पीठ ने देखा कि मामले में कुछ आधिकारिक गवाह पलट गए थे। पीठ ने कहा :

    "गवाह न्याय के प्रशासन का अभिन्न अंग हैं। उन्हें अत्यंत सम्मान दिया जाना चाहिए। गवाहों को उनकी जेब से खर्च की गई राशि के लिए पर्याप्त रूप से मुआवजा नहीं दिया जाता। उन्हें लंबी दूरी की यात्रा करनी पड़ती है। उनके लिए बैठने के लिए अलग कमरे नहीं होते। अगर उन्हें शहर में ही रुकना है तो वे राज्य सरकार के खर्च पर बोर्डिंग और लॉज के लिए उचित यथार्थवादी भत्ते के हकदार हैं। गवाहों और उनके परिवारों के लिए लगातार खतरा भी बना रहता है। गवाहों को कई बार गैंगस्टरों, आतंकवादियों, तस्करों, बाहुबलियों और जघन्य अपराधों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ गवाही देनी पड़ती है।"

    अदालत ने आगे कहा कि, "कई बार धमकी की आशंका गवाह को अदालतों से दूर रखती है। जांच के दौरान, ट्रायल के दौरान और ट्रायल के निष्कर्ष के बाद भी धमकी की आशंका बनी रहती है। अदालतों द्वारा बार- बार सुनवाई टालकर ट्रायल को लम्बा कर गवाहों को मानसिक पीड़ा दी जाती है। ट्रायल को दिन- प्रतिदिन के आधार पर आयोजित किया जाना चाहिए। गवाहों के लिए सम्मान दिखाने की आवश्यकता है और उनकी गरिमा को जांच के दौरान और ट्रायल के समय बनाए रखा जाना चाहिए। पूरे सिस्टम को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। चूंकि गवाह लगातार खतरे में रहते हैं इसलिए उनके पलटने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।''

    इसके बाद अदालत द्वारा निर्देश जारी किए गए ताकि आपराधिक मामलों में गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके -

    • पंजाब राज्य को 3 महीने के भीतर भारतीय दंड संहिता और आपराधिक प्रक्रिया संहिता में उपयुक्त संशोधन करने के लिए निर्देशित किया जाता है ताकि किसी भी गवाह को गलत बयान देने के लिए प्रेरित करने, धमकाने और दबाव डालने के लिए दंडित किया जा सके।
    • पंजाब राज्य को यह भी निर्देशित किया जाता है कि सभी गवाहों को बयान दर्ज कराने की तारीख पर यात्रा भत्ते के रूप में उचित राशि का भुगतान किया जाना चाहिए और यदि बयान अगली तारीख तक के लिए खिंच जाते हैं तो गवाहों के रहने आदि का इंतजाम राज्य सरकार द्वारा सरकारी खजाने से किया जाना चाहिए।
    • पंजाब राज्य को यह भी निर्देश दिया जाता है कि जघन्य और संवेदनशील मामलों में गवाहों का अल्पकालिक या दीर्घकालिक आधार पर बीमा किया जाए ताकि वे निडर होकर अदालत के सामने अपनी गवाही दे सकें और उनकी पहचान की रक्षा की जाए, उनकी पहचान बदली जाए और गवाहों को दूसरे स्थान पर रखा जाए।
    • पंजाब राज्य को गवाह के घर में जैसे सुरक्षा द्वार, सीसीटीवी, अलार्म, बाड़ आदि सुरक्षा उपकरण स्थापित करने चाहिए।
    • पुलिस, गवाहों के आपातकालीन संपर्क नंबर रखे, गवाहों की निकटतम सुरक्षा, गवाह के घर के आसपास नियमित गश्त करे। सुनवाई की तारीख पर सरकारी वाहन या राज्य द्वारा वित्त पोषित वाहन के प्रावधान के साथ न्यायालय पहुंचाने और न्यायालय से उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाने की व्यवस्था होनी चाहिए।

    अदालत ने पंजाब राज्य के माध्यम से ट्रायल कोर्ट को Cr.P.C की धारा 309 के जनादेश का पालन कर दिन-प्रतिदिन/निरंतर आधार पर तेजी से गवाहों की जांच करने करने का निर्देश दिया।

    पीठ ने कहा:

    "अगले दिन के लिए सुनवाई केवल ठोस और विशेष कारणों को दर्ज करने के बाद ही टाली जाएगी। रिपोर्टिंग अधिकारियों को यह निर्देश दिया जाता है कि वे उन न्यायिक अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्टों में प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज करें जो दिन- प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई नहीं करते।"


    Tags
    Next Story