हरेन पंड्या हत्याकांड : 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट करेगा CPIL की याचिका पर सुनवाई, नए सिरे से जांच की मांग

LiveLaw News Network

8 Feb 2019 1:45 PM GMT

  • हरेन पंड्या हत्याकांड : 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट करेगा CPIL की याचिका पर सुनवाई, नए सिरे से जांच की मांग

    गुजरात के पूर्व मंत्री हरेन पंड्या हत्या मामले की अदालत की निगरानी में जांच कराने की मांग वाली नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 11 फरवरी को सुनवाई करेगा।

    जस्टिस ए. के. सीकरी की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि वही पीठ 2 हफ्ते बाद इस मामले पर सुनवाई करेगी जो पहले से ही इस मामले में सुनवाई कर रही है। इस दौरान वकील प्रशांत भूषण ने पीठ को बताया कि अब नए तथ्य सामने आए हैं जिनके बाद इस हत्याकांड की फिर से जांच की जरूरत है।

    गैर सरकारी संग‍ठन सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटीगेशन ( CPIL) द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि मामले में नए सिरे से जांच की आवश्यकता है क्योंकि हाल में कुछ "चौंकाने वाली जानकारी" सामने आई है, जिसका परीक्षण किए जाने की आवश्यकता है। याचिका में दावा किया गया कि जो नई जानकारियां जो सामने आई हैं, उनमें डीजी वंजारा समेत आईपीएस अधिकारियों के पंड्या की हत्या करने की साजिश में शामिल होने की आशंका स्पष्ट रूप से है। इसमें पुलिस के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ ही राजनीति से जुड़े लोगों की भी भूमिका हो सकती है।

    गौरतलब है कि गुजरात में भाजपा सरकार के दौरान गृह राज्यमंत्री रहे पंड्या की अहमदाबाद में 26 मार्च, 2003 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के समय पंड्या सुबह की सैर को निकले थे।

    सीबीआई की जांच के मुताबिक, वर्ष 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगे का बदला लेने के लिए पंड्या की हत्या कर दी गई थी। गुजरात हाई कोर्ट ने ठीक से जांच नहीं करने पर सीबाआई की आलोचना करते हुए कहा था कि वर्तमान मामले के रिकार्ड से एक चीज स्पष्ट रूप से निकलकर सामने आती है कि हरेन पंड्या की हत्या के मामले की ठीक से जांच नहीं की गई है और इसमें अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

    इससे पहले विशेष पोटा अदालत ने मामले के मुख्य आरोपी असगर अली के बयान के आधार पर आरोपियों को साजिश रचने का दोषी करार दिया था।

    अली ने स्वीकार किया था कि उनकी योजना, वर्ष 2002 के गुजरात दंगे का बदला लेने के लिए गुजरात के प्रमुख विहिप और हिंदू नेताओं पर हमले की थी। पोटा अदालत ने 12 में से 9 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था। इसके बाद मामले की अपील सुप्रीम कोर्ट में की गई और जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने इस पर सुनवाई की है।

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