आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण : सुप्रीम कोर्ट ने फिर किया रोक लगाने से इनकार, भर्तियों में रोक पर सुनवाई 2 मई को
Live Law Hindi
8 April 2019 3:59 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीठ 2 मई को इस अर्जी पर विचार करेगी कि नौकरियों में आरक्षण के तहत भर्तियों पर रोक लगाई जाए या नहीं।
सोमवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजील धवन ने पीठ को बताया कि रेलवे भी इसी आधार पर हजारों नियुक्तियां कर रहा है। ऐसे में इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
हालांकि इस दौरान केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने इसका विरोध किया और कहा कि इससे पहले 2 बार पीठ इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर चुका है।
इस दौरान जस्टिस एस. ए. बोबड़े और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि वो इस मामले में 2 मई को सुनवाई करेंगे कि क्या इसके आधार पर हुई भर्तियों में इस आरक्षण पर रोक लगाई जाए या नहीं।
कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्र ने जोर दिया है कि संविधान (103 वें) संशोधन अधिनियम में आर्थिक आरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 15 (6) और 16 (6) पेश किया गया है जो संविधान की संरचना (basic structure) को प्रभावित नहीं करता।
हलफनामे में कहा गया है, "मूल संरचना का हिस्सा होने वाली एक स्थिति को मूर्त रूप देने वाले एक अनुच्छेद को प्रभावित करने या लागू करने के लिए एक संशोधन को असंवैधानिक घोषित करना पर्याप्त नहीं है। एक संवैधानिक संशोधन के खिलाफ चुनौती को बनाए रखने के लिए यह दिखाया जाना चाहिए कि इसके जरिये संविधान के मूल स्वरूप को बदल दिया गया है।"
ईडब्ल्यूएस कोटे में आरक्षण की 50% सीमा का उल्लंघन बताकर इस आधार पर इस संविधान संशोधन को चुनौती दी गई है क्योंकि इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई यह सीमा संविधान संशोधन के बाद लागू नहीं है। "वर्ष 1990 में भारत सरकार द्वारा जारी किए गए कुछ कार्यालय ज्ञापनों की संवैधानिक वैधता का निर्धारण करते हुए उक्त निर्णय के रूप में इंद्रा साहनी मामले में दिए गए निष्कर्ष वर्तमान मामले पर लागू नहीं हैं।"
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि आरक्षण की अवधारणा स्वयं किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में नहीं है, बल्कि यह उस समुदाय के संदर्भ में है, जिसमें वह उस समुदाय को शिक्षा और रोजगार की मुख्यधारा प्रणाली में एकीकृत करने के विचार के साथ है।