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आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण : सुप्रीम कोर्ट ने 16 जुलाई से वैधता पर सुनवाई को तैयार

सुप्रीम कोर्ट आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 जुलाई से सुनवाई को तैयार हो गया है।
दरअसल सोमवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने पीठ से यह कहा कि जब तक पीठ इसकी वैधता पर फैसला नहीं करती, तब तक इस कानून पर रोक लगाइ जानी जानी चाहिए।
कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्र ने जोर दिया है कि संविधान (103 वें) संशोधन अधिनियम में आर्थिक आरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 15 (6) और 16 (6) पेश किया गया है जो संविधान की संरचना को प्रभावित नहीं करता है।
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन के निर्धारण के लिए आर्थिक मानदंड को एक प्रासंगिक कारक माना गया है। यह कहा गया है कि सामाजिक-आर्थिक पिछड़े वर्गों की पहचान के लिए उपयोग किए जाने वाले संकेतकों का उपयोग आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान के लिए नहीं किया जा सकता क्योंकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग वर्ग समरूप नहीं है।
केंद्र ने कहा है कि संविधान के एक अनुच्छेद में केवल एक संशोधन, भले ही एक बुनियादी सुविधा को लागू करता हो, जरूरी नहीं कि इसमें शामिल बुनियादी सुविधा का उल्लंघन हो। यह दावा किया गया है कि अनुच्छेद 15 (6) और अनुच्छेद 16 (6) के नए सम्मिलित प्रावधान आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) की उन्नति के प्रावधानों को सक्षम कर रहे हैं और वास्तव में ये सकारात्मक कार्रवाई के सिद्धांत के अनुरूप हैं।
जनहित अभियान व अन्य याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क दिया है कि आरक्षण की अवधारणा स्वयं किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में नहीं है, बल्कि उस समुदाय के संदर्भ में है, जिसमें वह उस समुदाय को शिक्षा और रोजगार की मुख्यधारा प्रणाली में एकीकृत करने के विचार के साथ है।