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कर्नाटक राजनीतिक संकट : सुप्रीम कोर्ट ने 10 बागी विधायकों के इस्तीफे और अयोग्यता पर यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए

लगभग 1 घंटे तक विस्तृत सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक विधानसभा के 10 विधायकों के इस्तीफे और अयोग्यता के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
रोहतगी ने कहा कि इस्तीफे "एक पंक्ति के पत्र" थे, जिनके लिए निर्णय लेने के लिए अधिक समय की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि विधायकों को सदन में उपस्थित होने और बजट पर वोट देने के लिए व्हिप जारी किया गया है। उनके इस्तीफे की स्वीकृति में देरी को उनकी अयोग्यता का कारण बनाया जा रहा है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 बागी विधायकों को गुरुवार शाम 6 बजे विधानसभा स्पीकर के समक्ष पेश होकर इस्तीफे पर अपनी बात रखने को कहा था।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने स्पीकर से आग्रह किया था कि वो इन बागी विधायकों की बात सुने और शाम को ही इस पर आदेश जारी करें। विधायक दावा कर रहे हैं कि स्पीकर के. आर. रमेश कुमार ने गैर-कानूनी रूप से उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया है और अपने संवैधानिक कर्तव्य को छोड़ दिया है।
विधायकों ने अपने इस्तीफे को बताया था स्वैच्छिक
याचिका दायर करने वाले 10 विधायकों ने यह कहा था कि कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष उनके इस्तीफे पर निर्णय लेने में देरी कर रहे हैं क्योंकि वह विधानसभा सत्र शुरू होने पर शुक्रवार को उनकी अयोग्यता का फैसला करना चाहते हैं।विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट से यह माँग की कि स्पीकर द्वारा उन विधायकों को अयोग्य घोषित करने से रोकने और उनका इस्तीफा स्वीकार करने के निर्देश दिए जाएं।
विधायकों का कहना था कि उनका इस्तीफा स्वैच्छिक और बिना किसी डर के है क्योंकि उन्हें यकीन है कि कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी का शासन एक ठहराव पर आ गया है। विधायकों ने सरकार में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को उजागर करने के लिए आईएमए, पोंजी घोटाला और जेएसडब्ल्यू भूमि घोटाले का हवाला दिया था।
स्पीकर ने कहा है कि वह बागी विधायकों के खिलाफ शुरू की गई अयोग्यता कार्यवाही पर विचार कर रहे हैं और उसके लिए भी उन्हें समय चाहिए। अदालत के निर्णय के चलते इस्तीफे की स्वैच्छिक प्रकृति का फैसला करना मुश्किल हो गया जिसकी उचित जांच की आवश्यकता हो सकती है।