सुप्रीम कोर्ट ने कार्ति चिदंबरम की 10 करोड़ रुपये वापस करने की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार किया

Live Law Hindi

14 May 2019 2:41 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने कार्ति चिदंबरम की 10 करोड़ रुपये वापस करने की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार किया

    पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें विदेश यात्रा के लिए शर्त के तौर पर रजिस्ट्री में उनके द्वारा जमा किए गए 10 करोड़ रुपये को वापस दिलाने का अनुरोध किया गया था।

    कार्ति की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि उन्हें 10 करोड़ रुपये का कर्ज लेने के लिए मजबूर होना पड़ा और अब वह उस रकम पर ब्याज देने के लिए बाध्य हैं। ऐसी स्थिति में पहले जमा की गई राशि वापस की जानी चाहिए।

    "छुट्टियों के बाद कोर्ट के सामने किया जाए मामले का उल्लेख"
    उनके वकील ने तत्काल विचार करने की मांग करते हुए मंगलवार को जस्टिस इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना की वेकेशन बेंच के समक्ष मामले का उल्लेख किया। अदालत ने हालांकि उसे नियमित पीठ के समक्ष उल्लेख करने के लिए कहा। पीठ ने कहा कि ये मामला जरूरी नहीं है और छुट्टियों के बाद कोर्ट के सामने इसका उल्लेख किया जाना चाहिए।

    गौरतलब है कि जस्टिस खन्ना, CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली उस पीठ का हिस्सा थे जिसने 7 मई को कार्ति को मई और जून में विदेश यात्रा की अनुमति दी थी लेकिन शर्त लगाई थी कि 10 करोड़ रुपये की सुरक्षा राशि जमा करने के बाद ही वो विदेश जा सकते हैं।

    उनके वकील ने आगे बताया कि जनवरी में पारित शीर्ष अदालत के आदेश में कहा गया था कि उनकी भारत वापसी पर 10 करोड़ रुपये वापस किए जाएंगे लेकिन ये रकम उन्हें वापस नहीं मिली।

    "पहले जमा की गई रकम नहीं मिली वापस"
    गौरतलब है कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने 7 मई को कहा था कि कार्ति को 10 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जमा करनी होगी। यहां तक ​​कि उनकी ओर से पेश वरिष्ठ वकील के. वी. विश्वनाथन ने कहा था कि उनके द्वारा पहले जमा की गई रकम अभी भी सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के पास है।

    लेकिन पीठ ने कहा, "हमें नहीं लगता कि, आपको फिर से 10 करोड़ रुपये जमा करने में कोई समस्या होगी।" यह कहते हुए अदालत ने कार्ति को मई में यूके और यूएसए और जून में जर्मनी और स्पेन का दौरा करने की अनुमति दी थी।

    वहीं जांच एजेंसियों की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध नहीं किया।

    कार्ति ने यह दावा किया है कि वह "पूर्व खिलाड़ी, वर्तमान प्रशासक और उद्यमी" के रूप में टेनिस से जुड़े हैं। वो प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई द्वारा आईएनएक्स मीडिया और एयरसेल मैक्सिस मामलों की जांच का सामना कर रहे हैं।

    इससे पहले शीर्ष अदालत ने जनवरी में भी 10 करोड़ रुपये जमा करने के बाद कार्ति को विदेश जाने की अनुमति दी थी। अदालत ने तब उन्हें कानून के साथ ना खेलने और जांच में सहयोग करने की चेतावनी दी थी।

    Tags
    Next Story