सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के आत्महत्या करने के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने वाली याचिका पर केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया

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4 Aug 2019 4:19 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के आत्महत्या करने के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने वाली याचिका पर केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया

    जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है जिसमें बच्चों द्वारा आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं का मुद्दा उठाया गया है।

    याचिका में की गयी मांग

    याचिका में केंद्र और राज्यों की सरकारों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे अपने संबंधित क्षेत्राधिकार में आत्महत्या की रोकथाम और कमी के लिए 'सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम' को लागू करें, जैसा कि मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम 2017 की धारा 29 और धारा 115 के तहत निर्धारित किया गया है।

    याचिका में RTI से मिले बीते 5 वर्ष के आंकड़े मौजूद

    याचिकाकर्ता और वकील गौरव कुमार बंसल ने कहा कि यह "राष्ट्रीय शर्म" है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों की आत्महत्या को कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। याचिका में आरटीआई से मिले पिछले 5 वर्षों के आंकड़े को संलग्न किया गया है जो उन्होंने दिल्ली पुलिस से प्राप्त किए हैं।

    "छोटे बच्चों द्वारा आत्महत्या को 'राष्ट्रीय शर्म' की दी गई संज्ञा"

    आंकड़ों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम अधिनियम 2017 के विभिन्न प्रावधानों पर अदालत का ध्यान आकर्षित किया है जो यह कहते हैं कि "अधिकार - क्षेत्र में आत्महत्या के मामलों को कम करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों की योजना, डिजाइन, निर्माण और कार्यान्वयन उत्तरदाता का मौलिक कर्तव्य है।"

    बड़ी संख्या में छोटे बच्चों द्वारा आत्महत्या को "राष्ट्रीय शर्म" बताते हुए याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित कार्यक्रम बनाने के बारे में सोचा भी नहीं है।

    याचिका के अनुसार, "राष्ट्रीय राजधानी में अगर 12 साल की उम्र के बच्चे आत्महत्या करेंगे तो यह देश के लिए स्वस्थ संकेत नहीं है, यह अधिकारियों के लिए शर्मनाक बात है। भारत में आत्महत्याओं की रोकथाम और कमी के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने, डिजाइन करने और लागू करने में उत्तरदाताओं की विफलता न केवल मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 की धारा 29 और 115 का उल्लंघन है बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का भी उल्लंघन है।"

    याचिका में यह कहा गया है कि 11 जनवरी, 2019 को याचिकाकर्ता को आरटीआई का जवाब मिला, जिसके बारे में उत्तरदाता संख्या 03 (दिल्ली पुलिस) ने बताया है कि सीलमपुर, सोनिया विहार, करावल नगर, गोकल पुरी, हर्ष विहार और ज्योति नगर के पुलिस स्टेशनों में क्रमशः 17, 07, 22, 06, 19 और 03 आत्महत्या के मामले दर्ज हुए।


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