आपराधिक मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक साथ हैं येदियुरप्पा और डीके शिवकुमार, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली
Live Law Hindi
26 July 2019 10:07 PM IST
कर्नाटक में राजनीतिक संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने 9 वर्ष पुराने कथित जमीन घोटाले के मामले में बीजेपी नेता बी. एस. येदियुरप्पा और कांग्रेस नेता डी. के. शिवकुमार के खिलाफ सुनवाई टाल दी है। जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस एम. आर. शाह की पीठ ने कहा कि वो यह तय करेंगे कि क्या किसी आपराधिक मामले में तीसरा पक्ष हस्तक्षेप कर मामले को फिर से चला सकता है।
इस दौरान हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने वाले समाज परिवर्तन समुदाय के अध्यक्ष एस. आर. हिरेमथ की ओर से पेश हुए प्रशांत भूषण ने 21 फरवरी के आदेश को वापस लेने की मांग की है, जिसके तहत कबलेगौड़ा द्वारा दायर याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी गयी थी जबकि पहले शिकायतकर्ता टीजे अब्राहम ने पहले ही अपनी याचिका वापस ले ली थी। यह आरोप लगाया गया है कि शिकायतकर्ताओं को ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया था।
भूषण ने वर्तमान लोकायुक्त (न्यायमूर्ति पी. विश्वनाथ शेट्टी) पर यह आरोप लगाया कि वह शीर्ष अदालत के समक्ष अभियुक्तों के लिए पेश हुए थे इसलिए उन्होंने आपराधिक मामले को खत्म करने के आदेश को चुनौती नहीं देने को प्राथमिकता दी थी। अपने आवेदन में हस्तक्षेपकर्ता ने तर्क दिया है कि हो सकता है कि शिकायतकर्ता से समझौता किया गया हो।
शिवकुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और येदियुरप्पा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हस्तक्षेप करने वाले को तीसरे पक्ष को आपराधिक मामले में अपनी दलील देने की अनुमति नहीं दी जा सकती। 11 मार्च को शीर्ष अदालत ने कहा था कि पीठ आपराधिक मामले को पुनर्जीवित करने के लिए एक हस्तक्षेपकर्ता की याचिका पर विचार कर सकती है।
दरअसल ये मुद्दा 4.20 एकड़ भूमि को डिनोटिफाई करने से संबंधित कर्नाटक हस्तांतरण प्रतिबंध अधिनियम, 1991 के उल्लंघन और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम व भारतीय दंड संहिता के कथित उल्लंघन का है। एक याचिका में रामनगरम जिले के एक सामाजिक कार्यकर्ता कबलेगौड़ा ने 18 दिसंबर, 2015 को कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें इन नेताओं के साथ-साथ बेंगलुरु दक्षिण तालुक में उप-रजिस्ट्रार हमीद अली के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को रद्द कर कर दिया गया था। निचली अदालत ने 5 फरवरी 2012 को आरोपियों द्वारा कथित रूप से किए गए अपराधों का संज्ञान लिया था। बाद में उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली थी।I