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कर्नाटक के बागी विधायकों को सदन आने के लिए विवश नहीं कर सकते, स्पीकर के लिए समय सीमा तय नहीं कर सकते : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]
![कर्नाटक के बागी विधायकों को सदन आने के लिए विवश नहीं कर सकते, स्पीकर के लिए समय सीमा तय नहीं कर सकते : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े] कर्नाटक के बागी विधायकों को सदन आने के लिए विवश नहीं कर सकते, स्पीकर के लिए समय सीमा तय नहीं कर सकते : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2019/07/17361852-justice-ranjan-gogoi-justice-deepak-gupta-justice-aniruddha-bosejpg.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अंतरिम आदेश दिया है कि कर्नाटक विधानसभा के 15 बागी विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता और वे सदन में ना जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
सिंघवी ने यह कहा कि अध्यक्ष के पास अनुच्छेद 190 (3) (बी) के तहत संवैधानिक कर्तव्य है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विधायकों के इस्तीफे स्वैच्छिक हैं और किसी जबरदस्ती या प्रलोभन के कारण नहीं हैं। इसलिए उन्होंने संविधान की अनुसूची 10 के तहत दलबदल विरोधी धाराओं के तहत जांच कराने के लिए और समय देने की गुहार लगाई।
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बागी विधायकों के लिए प्रस्तुत किया कि अयोग्य करार देने के लिए यह एक चाल है। इन तर्कों के आधार पर कोर्ट ने विधायकों के इस्तीफे और अयोग्यता पर यथास्थिति का आदेश दिया था। बाद में 5 और बागी विधायकों ने इस मामले में पक्षकार के रूप में शामिल होने के लिए आवेदन दायर किया।
पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए रमेश को पहले ही कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था। 1 सप्ताह के भीतर कांग्रेस और जद (एस) के लगभग 13 और विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। वो मुंबई में डेरा डाले हुए हैं। हालांकि वर्ष 2018 के चुनावों के बाद बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी लेकिन कांग्रेस और जेडी (एस) ने 224 सदस्यों वाले सदन में गठबंधन कर 116 सीटों के आधार पर सरकार बना ली थी।