क्या रोहिंग्या भारत में शरणार्थी के दर्जे के हकदार हैं ? सुप्रीम कोर्ट अगस्त में करेगा सुनवाई

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13 July 2019 5:46 AM GMT

  • क्या रोहिंग्या भारत में शरणार्थी के दर्जे के हकदार हैं ? सुप्रीम कोर्ट अगस्त में करेगा सुनवाई

    सुप्रीम कोर्ट इस सवाल पर अंतिम सुनवाई के लिए तैयार हो गया है कि क्या रोहिंग्या समुदाय के लोग शरणार्थी का दर्जा पाने के हकदार हैं और क्या उन्हें निर्वासन से सरंक्षण दिया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट आगामी अगस्त में इस मामले में अंतिम सुनवाई करेगा।

    केवल मुख्य सवाल को तय किया जाएगा

    मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को यह कहा कि वो इस मामले में पूरक सवालों की बजाए इसी केंद्रीय मुद्दे को तय करेगा। पीठ ने सभी वकीलों को इस संबंध में अगस्त तक अपनी दलीलें, सहायक साहित्य, लेख और दृष्टिकोण को दाखिल करने को कहा है।

    "क्या अवैध अप्रवासी कर सकते हैं देश में शरणार्थी की स्थिति का दावा१"

    "मूल प्रार्थना रोहिंग्या समुदाय के उन सदस्यों को निर्वासित ना करने की है जो वर्तमान में भारत में हैं। शरणार्थियों पर अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आवश्यक मानवीय हालात में रहने के लिए उन्हें बुनियादी सुविधाएं देने की भी प्रार्थना है ... एक अंतरिम मामले में 7 रोहिंग्याओं के म्यांमार निर्वासन पर रोक लगाने की मांग थी जिसे पीठ ने खारिज कर दिया था। मुख्य सवाल यह है कि क्या अवैध अप्रवासी, देश में शरणार्थी की स्थिति का दावा कर सकते हैं; अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनसे कैसे निपटा जाता है यह मुख्य मुद्दा है। बाकी सब कुछ परिधीय है," मंगलवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आग्रह किया क्योंकि याचिकाकर्ताओं के वकील ने भारत में रोहिंग्या कॉलोनियों में रहने की स्थिति पर स्टेटस रिपोर्ट की मांग की थी।

    "नगरपालिका कानून के तहत गैर-नागरिकों को शरणार्थी का दर्जा देने का आधार क्या है?" न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने पूछा।

    "राष्ट्रों ने खुद ही विदेश में सताए जा रहे लोगों को शरणार्थी के दर्जे के दावों को देखने के लिए विभाग की स्थापना की है। चूंकि हमारे पास भारत में ऐसा कोई विभाग नहीं है इसलिए UNHCR के साथ एक अनौपचारिक लेकिन दीर्घकालिक संबंध रहा है। एक गहन जांच होती है कि वे कहाँ से आ रहे हैं क्या वो वास्तव में उत्पीड़न से बच रहे हैं-एक विस्तृत जांच होती है जिसके बाद शरणार्थी की स्थिति जारी की जाती है ... भारत में 60-70% रोहिंग्या के पास पहले से ही शरणार्थी कार्ड मौजूद हैं। शेष याचिकाएं लंबित हैं ..., " याचिकाकर्ताओं में से एक के लिए पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने जवाब दिया।

    "क्या ये कोई नीतिगत फैसला है?", न्यायमूर्ति बोस ने पूछा।

    "आर्थिक प्रवासियों के लिए दिशानिर्देश हैं ... आर्थिक प्रवासियों को देश में रहने के लिए अनुमति नहीं है... लेकिन कई देशों, उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया ने प्रवासियों को संरक्षण दिया है। वे उन्हें वापस जाने के लिए नहीं कहते हैं ...", गोंजाल्विस ने जवाब देते हुए कहा। मुख्य न्यायाधीश ने मामले को अगस्त में सुनवाई के लिए तय किया है।

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