नहीं है आरपी एक्ट में संशोधन का कोई प्रस्ताव ,ताकि जीतने वाली राजनीतिक पार्टियों को जवाबदेह ठहराया जा सके मैनिफेस्टो में किए वादों के लिए कानून मंत्री ने कहा
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4 July 2019 12:59 PM IST
एक सवाल का जवाब देते हुए कानून मंत्री ने लोकसभा में यह बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में ऐसे किसी संशोधन का कोई प्रस्ताव नहीं है जिसके द्वारा जीतने वाली पार्टियों को चुनावी मैनिफेस्टों में किए गए वादों के लिए जवाबदेह या जिम्मेदार ठहराया जा सके।
''भारतीय चुनाव आयोग ने यह सूचित किया है कि तकनीकी उपाय व कठोर प्रशासनिक और सुरक्षा प्रक्रिया अपनाए जाने के कारण उनके द्वारा प्रयोग की गई ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं है। जो मशीन आयोग ने प्रयोग की है वह एक स्टैंड-अलोन यानि अकेले चलने योग्य,नाॅन नेटवक्र्ड और वन टाइम प्रोग्रामेबल है, जिसे न तो कंप्यूटर से नियंत्रित किया जा सकता है और न ही इंटरनेट या किसी नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है। इसलिए उसे हैक नहीं किया जा सकता है। मशीन को इलैक्ट्रानिक तरीके से ऐसे सुरक्षित किया गया है कि उससे छेड़छाड़ न की जा सके। इस मशीन में प्रयोग किया गया प्रोग्राम एक बार में प्रयोग होेने वाला प्रोग्राम/अप्रत्यक्ष या मैस्क्ट चिप है ताकि उससे कोई छेड़छाड़ या उसमें बदलाव ना किया जा सके।''
कानून मंत्री ने आगे यह भी बताया कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में किसी भी निवार्चन क्षेत्र में ईवीएम ओर वीवीपीएटी मशीन की गिनती के बीच विसंगति के बारे में जानकारी एकत्रित की जा रही है।
कानून मंत्री ने यह भी कहा कि भारत सरकार विधि आयोग द्वारा की गई उन अनुशंसाओं पर भी विचार कर रही है जो ''चुुनावी सुधार'' पर पेश की गई 255वी रिपोर्ट में की गई है। जिनमें राजनीतिक दलों के वित विनियमन की बात कही गई है ताकि चुनाव में काले के धन के उपयोग को रोका जा सके।