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दिमागी बुखार से बच्चों की मौत : बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में माना, राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं खस्ताहाल में [शपथ पत्र पढ़ें]
![दिमागी बुखार से बच्चों की मौत : बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में माना, राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं खस्ताहाल में [शपथ पत्र पढ़ें] दिमागी बुखार से बच्चों की मौत : बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में माना, राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं खस्ताहाल में [शपथ पत्र पढ़ें]](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2019/04/08359558-supreme-court-of-india1jpg.jpg)
बिहार में बच्चों की दिमागी बुखार एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से पीड़ित होने से हो रही मौतों के मामले में बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है।
सरकार ने राज्य में संसाधनों की कमी स्वीकारी
हलफनामे में राज्य सरकार ने यह माना है कि बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में भारी खामियां हैं और संसाधनों की भी कमी है। बिहार सरकार ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में मानव संसाधन की स्थिति ठीक नहीं है। स्वास्थ्य विभाग में 57 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी है जबकि 71 प्रतिशत नर्सें नहीं हैं।
"सरकार द्वारा उठाए जा रहे हैं उचित कदम"
बिहार सरकार ने अपने हलफनामे में यह कहा है कि सरकार इस बीमारी से निपटने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है और खुद मुख्यमंत्री इसकी निगरानी कर रहे हैं। मेडिकल ऑफिसर और पैरा मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति के लिए वह कारगर कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार ने सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर बेहतर पोषण मुहैया कराने के लिए निर्देश दिया है। साथ ही 10 नए मेडिकल कॉलेज और कुछ जिला अस्पतालों को अपग्रेड करने का फैसला लिया गया है।
अब तक हुई मृत्यु एवं मुआवज़े का दिया गया हिसाब
सरकार ने पीठ को यह बताया है कि अभी तक 157 बच्चों की मौत हुई है लेकिन पिछले सालों के मुताबिक इस बार मौतों की दर घटकर 19 प्रतिशत रह गई है। सरकार इस मामले में गाइडलाइन भी तैयार कर रही है। मृतक बच्चों के परिजनों के 4-4 लाख रुपये मुआवजा भी दिया गया है।
अदालत ने मांगे सरकार से मुख्य मुद्दों पर जवाब
दरअसल 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, बिहार सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर 7 दिनों में जवाब मांगा था।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बी. आर. गवई की पीठ ने बीते सोमवार को सुनवाई करते हुए 3 मुद्दों - साफ-सफाई, पोषाहार और स्वास्थ्य सेवाओं पर हलफनामा दाखिल करने को कहा था। पीठ ने कहा था कि अदालत को सरकार से कुछ जवाब चाहिए क्योंकि जिनकी जान जा रही है वो बच्चे हैं।
दाखिल की गयी है इस मामले में एक जनहित याचिका
दरअसल SC में दाखिल की गयी एक जनहित याचिका में केंद्र सरकार और बिहार सरकार को आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और अन्य सहायता के प्रावधान समेत चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है।
यूथ बार एसोसिएशन के सदस्य वकीलों मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजमानी द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि बिहार में पिछले दिनों 126 से अधिक बच्चों (ज्यादातर आयु वर्ग 1 से 10) की मौत बिहार, उत्तर प्रदेश और भारत सरकार की संबंधित सरकारों की लापरवाही और निष्क्रियता का प्रत्यक्ष परिणाम है। याचिका में यह कहा गया है कि एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के प्रकोप के कारण हर साल होने वाली महामारी की स्थिति से निपटने के लिए इंतजाम नहीं किए गए हैं।
जनहित याचिका में 500 आईसीयू और 100 मोबाइल आईसीयू की तत्काल व्यवस्था करने का भी अनुरोध किया गया है। साथ ही यह कहा गया है कि एक असाधारण सरकारी आदेश के तहत प्रभावित क्षेत्र के सभी निजी चिकित्सा संस्थानों को निर्देश दिया जाए कि वो मरीजों को निशुल्क उपचार प्रदान करें। राज्य मशीनरी की लापरवाही के कारण मरने वाले मृतकों के परिवार के सदस्यों को 10 लाख रुपये बतौर मुआवजा प्रदान किए जाएं।