सेलम- चेन्नई हाइवे : सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण रद्द करने के मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया, कहा ये मामला गंभीर
Live Law Hindi
3 Jun 2019 6:51 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में सेलम- चेन्नई के 8 लेन के ग्रीनफील्ड कॉरिडोर परियोजना एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण को रद्द करने के मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
सड़क, परिवहन मंत्रालय एवं तमिलनाडु सरकार को नोटिस
सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस एम. आर. शाह की अवकाश पीठ ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय के अलावा तमिलनाडु सरकार और हाईकोर्ट के याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी कर उनकी ओर से जवाब मांगा है।
"मामले पर गहराई से सुनवाई की जरूरत"
हालांकि सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि ये एक गंभीर मुद्दा है और पीठ की चिंता ये है कि हाइवे के लिए जमीन अधिग्रहण के नोटिफिकेशन से पहले ही उक्त जमीन को रिकार्ड में सरकार के नाम कैसे कर दिया गया था। पीठ ने कहा कि इस मामले पर गहराई से सुनवाई जरूरी है।
वहीं, याचिकाकर्ता नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के परियोजना निदेशक की ओर से पेश वकील ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर तुंरत रोक लगाने का अनुरोध किया लेकिन पीठ ने इससे इनकार कर दिया।
'भारतमाला योजना' से जुड़ा हुआ है मामला
दरअसल मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की गई है, जिसमें 'भारतमाला योजना' के तहत 10,000 करोड़ रुपये के सेलम- चेन्नई के 8 लेन के एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया गया था।
शुक्रवार को जस्टिस एम. आर. शाह और ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के परियोजना निदेशक के लिए उपस्थित वकील से तत्काल सुनवाई के अनुरोध पर मामले को उठाने पर सहमति व्यक्त की थी।
दरअसल 277.30 किलोमीटर लंबे राजमार्ग को कृषि भूमि के नुकसान और वन, वनस्पतियों और जीवों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए एक्टिविस्ट, किसानों और निवासियों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा है।
फरवरी 2018 में स्वीकृत इस परियोजना से चेन्नई और सेलम के बीच यात्रा के समय में कटौती की उम्मीद थी। पी. वी. कृष्णमूर्ति और पीएमके नेता ए. रामदास सहित अन्य की रिट याचिकाओं पर 8 अप्रैल को दिए गए अपने फैसले में मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा हाइवे के फायदों पर निकाले गए निष्कर्ष सही नहीं थे। परियोजना के पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर कोई उचित अध्ययन नहीं किया गया था।