' चौकीदार चोर है' टिप्पणी करने पर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी, कहा बंद हो केस

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8 May 2019 11:05 AM GMT

  •  चौकीदार चोर है टिप्पणी करने पर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी, कहा बंद हो केस

    कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में "चौकीदार चोर है" टिप्पणी के लिए बिना शर्त माफी मांग ली है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट के हवाले से ये टिप्पणी करने पर बिना शर्त माफी मांगते हुए राहुल गांधी ने कहा है कि न्याय की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने की उनकी कोई मंशा या इरादा नहीं रहा है।

    "अब बंद किया जाए यह मामला"
    3 पन्नों के हलफनामे में राहुल गांधी ने कहा है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से जो टिप्पणी की थी वो भूलवश और अनजाने में की थी। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया है कि उनके माफीनामे को अदालत द्वारा स्वीकार किया जाए और उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही को बंद किया जाए।

    इससे पहले बीते 30 अप्रैल को राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था, "मैं सुप्रीम कोर्ट के हवाले से की गई टिप्पणियों के लिए ईमानदारी से माफी मांगता हूं।"

    'रिग्रेट' का मतलब 'माफी' ही है
    सिंघवी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने यह भी कहा था कि हलफनामे में उन्होंने इसके लिए 'रिग्रेट' शब्द का इस्तेमाल किया है जिसका भी मतलब 'माफी' ही है, लेकिन वो एक नया हलफनामा दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगेगे।

    राहुल गांधी को नहीं मिली थी कोई राहत
    पीठ ने हलफनामा दाखिल करने की अनुमति देते हुए कहा था कि इसका मतलब ये नहीं है कि राहुल को कोई राहत मिल गई है। अदालत ने कहा था कि इस हलफनामे को मंजूर किया जाए या नहीं यह पीठ सुनवाई की अगली तारीख 10 मई को तय करेगी।

    मुकुल रोहतगी की दलील
    वहीं याचिकाकर्ता मीनाक्षी लेखी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि गांधी ने अपनी टिप्पणी के लिए बिना शर्त माफी नहीं मांगी है और स्वयं को उचित ठहराया है। उन्होंने कहा कि गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के मुंह से राजनीतिक प्रचार के लिए शब्द निकाले थे, जो अवमानना ​​का ही रूप है। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि गांधी ने एक से अधिक अवसरों पर उन टिप्पणियों को दोहराया था और उनकी यह दलील कि 'आदेश की प्रतिलिपि पढ़े बिना टिप्पणी की गई थी', स्वीकार्य नहीं है।

    पीठ ने पूछा था हलफनामे को लेकर सवाल
    वहीं पीठ ने भी टिप्पणी की कि वह हलफनामे को समझने में सक्षम नहीं है और पूछा कि कोष्ठक में 'अफसोस' शब्द क्यों लिखा गया है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या गांधी का अपनी माफी पर कोई बयान है।

    गौरतलब है कि राफेल मामले में अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी नोटिस पर अपना जवाब दाखिल करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर दोहराया था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से वह टिप्पणी चुनाव प्रचार की सरगर्मी में की थी।

    सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाबी हलफनामे में राहुल गांधी ने कहा है कि कोर्ट की अवमानना करना कभी भी उनकी मंशा नहीं रही।

    "बयान को तोड़ मरोड़ कर किया गया प्रस्तुत"
    उनका कहना था कि जिस समय राफेल पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तब ये प्रतिक्रिया उनके मुंह से निकली थी, लेकिन विरोधियों ने उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर और गलत मंशा से पेश किया है।

    राहुल गांधी से मांगा गया था जवाब
    गौरतलब है कि 23 अप्रैल को राफेल मामले में 'चौकीदार चोर है' टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अवमानना नोटिस जारी कर उनकी ओर से जवाब मांगा था। हालांकि उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी गई थी।

    अबतक इस मामले में हुई प्रगति
    इस दौरान याचिकाकर्ता मीनाक्षी लेखी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि राहुल गांधी ने जवाब में यह माना है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की थी। उन्होंने अपनी गलती मानी है लेकिन माफीनामा नहीं दिया है।

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