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जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व जज लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

Live Law Hindi
29 March 2019 7:41 AM GMT
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व जज लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
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जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस हसनैन मसूदी आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। वह संविधान के अनुच्छेद 370 के संबंध में दिए गए अपने फैसले के कारण काफी लोकप्रिय हुए थे। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार नेशनल काॅन्फ्रेंस ने यह निर्णय किया है कि वह अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र से जज को अपना उम्मीदवार बनाएगी।

जस्टिस मसूदी ने हार्वर्ड विवि से मास्टर इन लाॅ की डिग्री की थी और एक मुनसिफ के तौर पर अपने कैरियर की शुरूआत की थी।वर्ष 2009 में उनको जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट में बतौर एडीशनल जज नियुक्त किया गया था।एक जनवरी 2016 को वह रिटायर हो गए थे।

अपने रिटायरमेंट से कुछ माह जस्टिस मसूदी की अध्यक्षता वाली बेंच ने संविधान की धारा 370 के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था। इस बेंच में जस्टिस जनक राज कोतवाल भी थे।

फैसले में कहा गया था कि '' अनुच्छेद 370(जिसे 'अस्थायी व्यवस्था'कहा गया है और जिसमें पैरा एक्सएक्सआई'अस्थायी, ट्रांजिशनल और स्पेशल प्रोविजन' को शामिल किया गया है) ने संविधान में स्थायित्व हासिल कर लिया है।

कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य की विधानसभा भंग होने से पहले संशोधन या खंडन की अनुशंसा न करे तो इसमें संशोधन नहीं किया जा सकता है।

जम्मू बेंच के समक्ष अशोक कुमार बनाम स्टेट आॅफ जेके मामले में यह सवाल उठाया गया था कि क्या सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंद्रा सावहनी बनाम यूनियन आॅफ इंडिया में दिया गया फैसला राज्य में लागू हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में प्रमोशन में आरक्षण देने पर रोक लगा दी थी। इस पर बेंच ने कहा था कि जम्मू एंड कश्मीर राज्य ने भारतीय प्रभुत्व को जब स्वीकार कर लिया था,तब सीमित स्वतंत्रता अपने पास रख ली थी और पूरी तरह भारतीय प्रभुत्व में शामिल नहीं हुआ था। जम्मू एंड कश्मीर राज्य ने बाकी राज्यों की इंस्टरूमेंट आॅफ असेसशन विद डोमिनन आॅफ इंडिया पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। इसलिए राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है। राज्य को विशेष दर्जा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत मिला हुआ है। अनुच्छेद 370 के तहत राज्य में संविधान का सिर्फ अनुच्छेद 1 ही लागू होता है। अनुच्छेद 370(1) के तहत दिया गया कोई भी प्रावधान राज्य पर लागू नहीं होता है बशर्ते उसके लिए राष्ट्रपति ने राज्य से मशविरा करके आदेश न दिया हो।

रेफरेंस का जवाब देते हुए बेंच ने माना था कि संविधान के अनुच्छेद 16 का क्लाज (4ए)राज्य पर लागू नहीं होता है। रिजर्वेशन एक्ट का सेक्शन 6 व रिजर्वेशन रूल के रूल 9,10 व 34 की संवैधानिकता को असंशोधित अनुच्छेद 16 की कसौटी पर टेस्ट किया जाना जरूरी है। अंत में माना था कि यह सभी प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 16 के अधिकारातीत यानि अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

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