सबरीमला : सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार की ट्रांसफर याचिकाओं को खारिज किया, हाई कोर्ट जाने को कहा

Live Law Hindi

25 March 2019 9:45 PM IST

  • सबरीमला : सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार की ट्रांसफर याचिकाओं को खारिज किया, हाई कोर्ट जाने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर प्रवेश विवाद से संबंधित केरल उच्च न्यायालय में लंबित याचिकाओं को ट्रांसफर करने की केरल सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है और साथ ही यह भी कहा है कि केरल सरकार को अंतरिम निर्देशों के संशोधन के लिए उच्च न्यायालय जाना चाहिए।

    दरअसल सरकार द्वारा महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ चरमपंथी संगठनों के हिंसक खतरों के मद्देनजर धारा 144 सीआरपीसी के तहत पुलिस की तैनाती और घोषणा जैसे सुरक्षा उपायों के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिकाओं में पुलिस व्यवस्था और निषेधात्मक आदेश को पूजा के अधिकार पर आक्रमण के रूप में चुनौती दी गई थी।

    इसके अलावा कुछ याचिकाओं में मंदिर प्रशासन में राज्य सरकार द्वारा अत्यधिक हस्तक्षेप और भक्तों के लिए सुविधाओं की कमी का आरोप भी लगाया गया था।

    पिछले साल कोर्ट द्वारा जारी किए गए थे कुछ दिशा-निर्देश

    दरअसल पिछले साल नवंबर में केरल उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि "कानून और व्यवस्था की स्थिति को पूरा करने के लिए न्यूनतम आवश्यक सीमा को छोड़कर पुलिस द्वारा लगाए गए सभी एकतरफा प्रतिबंध हटाए जाएंगे, खासकर "नामजपम "और जप करने के लिए" शरणमन्त्र ' के लिए तीर्थयात्रियों के अधिकार के संबंध में।

    कोर्ट ने पर्यवेक्षकों की एक टीम भी नियुक्त की थी जिसमें हाई कोर्ट के 2 जज और एक पुलिस अधिकारी को डीजीपी के पद पर हैं, शामिल हैं, ताकि स्थिति पर निगरानी की जा सके और इसके निर्देश लागू करने के लिए फैसले लिए जा सकें।

    इस पृष्ठभूमि में राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था जिसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए निर्देश भावना के विपरीत हैं। 28 सितंबर, 2018 को दिए गए शीर्ष अदालत के फैसले पर सरकार ने कहा था कि सबरीमला मुद्दे का दक्षिणपंथी संगठनों ने राजनीतिकरण किया है। भक्तों के रूप में बड़े-बड़े लोग वहां कानून व्यवस्था के मुद्दे पैदा कर रहे हैं।

    पिछले साल 17 अक्टूबर और 5 नवंबर को हुई हिंसा की घटनाओं में जब कुछ महिलाओं ने प्रवेश करने का प्रयास किया तो उन्हें भी रोका गया था। याचिका में वास्तविक भक्तों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा अपनाए गए उपायों को प्रभावित करने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप का दावा किया गया था।

    अदालत रही है सबरीमला में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंतित

    इससे पहले 18 जनवरी को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केरल राज्य को निर्देश दिया था कि वह यह सुनिश्चित करे कि सबरीमला मंदिर में प्रवेश करने वाली 2 महिलाओं बिंदू और कनक दुर्गा को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जाए।

    उस अवसर पर राज्य सरकार के वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं को पहले ही सुरक्षा दी जा चुकी है। "केवल इन 2 ने ही नहीं, बल्कि 51 महिला-भक्तों ने मंदिर में प्रवेश किया है," उनकी ओर से तर्क दिया गया था। इसके बाद 6 फरवरी को 5-न्यायाधीशों की पीठ ने सितंबर 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

    संयोग से सोमवार को ही मुख्य न्यायाधीश गोगोई की उसी पीठ ने सबरीमाला मंदिर की चोटी पर जाने के लिए बस की सवारी के लिए 49 रुपये के तय किराए को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को भी खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस ने कहा, "क्या हम अब यह तय करने जा रहे हैं कि बस का किराया कितना होना चाहिए?"


    Next Story