मौत की सजा तभी दी जाए जब उम्रकैद पूरी तरह से अनुचित सजा प्रतीत हो : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

Live Law Hindi

13 March 2019 9:30 AM GMT

  • मौत की सजा तभी दी जाए जब उम्रकैद पूरी तरह से अनुचित सजा प्रतीत हो : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

    मध्य प्रदेश के सतना में 5 साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मौत की सजा केवल तभी लागू होनी चाहिए जब किये गए अपराध में उम्रकैद पूरी तरह से अनुचित सजा प्रतीत होती हो।

    न्यायमूर्ति एन. वी. रमना, न्यायमूर्ति मोहन एम. शांतनागौदर और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने सचिन कुमार सिंगराहा को 25 साल के कारावास (छूट के बिना) की सजा सुनाई।

    5 वर्षीय बच्ची सतना के गांव इटमा की निवासी थी। 23 फरवरी, 2015 को बच्‍ची के भाई ने गांव के ही सचिन सिंगराहा की गाड़ी में उसे बैठा दिया लेकिन सचिन ने बच्ची को स्कूल न छोड़ कर उसके साथ रेप कर उसका गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी थी।

    मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने वर्ष 2016 में सचिन की फांसी की सजा की पुष्टि की थी। ट्रायल कोर्ट द्वारा दर्ज की गई सजा की पुष्टि करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि सबूतों में कुछ विसंगतियां हैं और प्रक्रियागत खामियों को रिकॉर्ड पर लाया गया है लेकिन ये आरोपी को संदेह का लाभ देने के लायक नहीं है।

    इस मामले में मौत की सजा पर पीठ ने कहा कि वह आश्वस्त नहीं है कि अभियुक्त के पूर्व आपराधिक इतिहास के अभाव और उसके समग्र आचरण को ध्यान में रखते हुए भविष्य में उसके सुधार की संभावना कम है।

    अदालत ने कहा कि जैसा कि अच्छी तरह से मामलों में तय किया गया है कि आजीवन कारावास वह नियम है जिसमें मौत की सजा अपवाद है। मौत की सजा तभी दी जानी चाहिए जब आजीवन कारावास अपराध के प्रासंगिक तथ्यों और परिस्थितियों के संबंध में पूरी तरह से अनुचित सजा हो।

    जैसा कि संतोष कुमार सिंह बनाम राज्य द्वारा सीबीआई, (2010) 9 एससीसी 747 के मामले में इस न्यायालय ने कहा है कि सजा सुनाना एक मुश्किल काम है और अक्सर न्यायालय के दिमाग में खलबली मच जाती है, लेकिन जहां आजीवन कारावास और मौत की सजा के बीच विकल्प मौजूद हो और अदालत इनमें से किसी एक सजा का चुनाव करने में कुछ कठिनाई महसूस करे तो यह उचित है कि आरोपी को कम सजा दी जाए।

    पीठ ने उसके बाद सचिन को 25 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई जिसमें कहा गया कि सिर्फ आजीवन कारावास की सजा उसके लिए सरल और अपर्याप्त होगी।


    Next Story