चुनाव के दौरान रोड शो और बाइक रैली पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट पहुंची, शुक्रवार को सुनवाई संभव

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11 March 2019 3:22 PM GMT

  • चुनाव के दौरान रोड शो और बाइक रैली पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट पहुंची, शुक्रवार को सुनवाई संभव

    सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर चुनाव प्रचार के दौरान रोड शो और मोटरबाइक रैलियों पर प्रतिबंध लगाने के दिशा निर्देश जारी करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि ये कानून और चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए निर्देशों के खिलाफ है।

    सोमवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस मामले में जल्द सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि इस जनहित याचिका पर सुनवाई 15 मार्च को होने की संभावना है।

    जनहित याचिका में 2 सामाजिक कार्यकर्ताओं उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी डा. विक्रम सिंह और नोएडा की शैविका अग्रवाल ने कहा है कि इस तरह के रोड शो और रैलियों से पर्यावरण को नुकसान होता है और साथ ही ट्रैफिक जाम, वायु-ध्वनि प्रदूषण के अलावा जनता को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

    याचिका में आगे कहा गया कि चुनाव आयोग ने रोड शो और राजनीतिक जुलूसों पर विभिन्न निर्देश जारी किए हैं जिनका सभी दलों द्वारा नियमित रूप से उल्लंघन किया जाता है।

    याचिका में यह भी कहा गया है कि चुनाव आयोग का निर्देश है कि रोड शो में शामिल वाहनों के विवरण का अनिवार्य रूप से पंजीकरण किया जाए और काफिले में 10 से अधिक वाहन नहीं हो सकते। 2 काफिलों के बीच न्यूनतम 200 मीटर की दूरी बनाए रखी जानी चाहिए। सड़क को आधी से अधिक कवर नहीं किया जा सकता।

    रोड शो में शामिल होने वाले वाहनों और व्यक्तियों की संख्या पहले से सूचित की जानी चाहिए। हालांकि उक्त निर्देशों का सभी राजनीतिक दलों द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है।

    जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि अधिकांश रोड शो में संशोधित प्रचार वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है जिन्हें रथ कहा जाता है। लोकतांत्रिक चुनावों के दौरान इन शाही रथों को केबिन, रसोई, शौचालय, और हाइड्रॉलिक लिफ्टों, इंटरनेट, टीवी आदि रखने के लिए सभी विलासिता को समायोजित करने के लिए संशोधित किया जाता है। इसके अलावा ये रथ बहुत महंगे हैं और चुनाव आयोग द्वारा अनुमत चुनाव खर्च के अतिरिक्त हैं।

    इस तरह के रथ अपने आप में एक खतरा हैं और स्टार प्रचारक अक्सर कई समर्थकों के साथ इसके दरवाजे पर बैठते हैं या वाहन की छत पर बैठते हैं। ट्रैफिक कानूनों का उल्लंघन करने के अलावा यह रथ वीवीआईपी के लिए खतरा है और आतंकी हमलों के चलते संवेदनशील हैं। खासकर तब जब कहीं अज्ञात लोगों की भारी भीड़ होती है। ये रोड शो उन लोगों के लिए भी खतरा है जिन्हें एसपीजी, एक्स, वाई, जेड सुरक्षा कवर मिला हुआ है।

    याचिकाकर्ता के मुताबिक राजनीतिक अभियान के दौरान आतंकवादी हमले के कारण राष्ट्र पहले ही एक पूर्व प्रधानमंत्री को खो चुका है। पड़ोसी देश की एक पूर्व प्रधान मंत्री की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई जब वह एक राजनीतिक रोड शो के दौरान अपने वाहन की छत पर खड़ी थीं।

    याचिका में इस बात का उल्लेख है कि राष्ट्र कुछ व्यक्तियों की सुरक्षा पर अरबों रुपये खर्च करता है और केवल राजनीतिक लाभ के लिए उन्हें खुद को और अधिक खतरे में डालने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

    याचिका में कहा गया है चूंकि भारी संख्या में वाहनों को नियंत्रित करना व्यावहारिक रूप से असंभव है, रोड शो के दौरान सड़कें पूरी तरह से भरी होती हैं जिससे आम जनता के लिए कोई जगह नहीं बचती। ट्रैफिक जाम रोड शो का पर्याय है और यह आम जनता है जो इसके चलते सबसे अधिक पीड़ा झेलती है। उन्होंने इन सभी दलीलों को याचिका में शामिल करते हुए रोड शो पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

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