गुजरात दंगा : सुप्रीम कोर्ट ने दोषी बाबू बजरंगी को स्वास्थ्य आधार पर जमानत दी

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8 March 2019 6:04 AM GMT

  • गुजरात दंगा : सुप्रीम कोर्ट ने दोषी बाबू बजरंगी को स्वास्थ्य आधार पर जमानत दी

    वर्ष 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े नरोदा पाटिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सजायाफ्ता बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को स्वास्थ्य कारणों के चलते ज़मानत दे दी। बाबू बजरंगी को गुजरात हाई कोर्ट ने 21 साल की सजा सुनाई है जिसे उसने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

    जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने गुरुवार को बाबू बजरंगी को जमानत दी।

    31 जनवरी को दोषी बजरंग दल के बाबू बजरंगी की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से जवाब मांगा था और गुजरात सरकार ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि दोषी कई बीमारियों का सामना कर रहा है। बजरंगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उसकी हाल ही में बाईपास सर्जरी हुई है और इसके साथ ही वो कई अन्य बीमारियों से भी जूझ रहा है।

    उसने यह भी बताया कि उसे आखों की परेशानी भी है और वह दिल संबंधी बीमारी से ग्रसित है। वो 5 साल से जेल में है और हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ उसकी अपील अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में स्वास्थ्य आधार पर उसे जमानत दी जानी चाहिए।

    इससे पूर्व इस वर्ष जनवरी में ही इसी केस में मामले में 4 दोषियों राजकुमार, हर्षद, उमेश भाई भारवाड और प्रकाशभाई राठौड़ को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी। पीठ ने कहा था कि हाई कोर्ट का वो फैसला संदेह के घेरे में है जिसमें उन चारों को 10 साल की सजा सुनाई गई थी।

    दरअसल बाबू बजरंगी को निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी मगर बाद में गुजरात हाई कोर्ट ने उसकी सजा घटाकर 21 साल कर दी थी। हालांकि इस मामले में बजरंगी की अपील सुप्रीम कोर्ट में अभी लंबित है।

    वर्ष 2002 में गोधरा दंगे के दौरान नरोदा पाटिया में नरसंहार की घटना सामने आई थी और इसमें 97 मुस्लिम लोगों की हत्या कर दी गई थी।

    गुजरात हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए निचली अदालत का फैसला पलटा था और भारतीय जनता पार्टी की नेता रहीं माया कोडनानी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। जबकि इसी मामले में बजरंग दल के बाबू बजरंगी की सजा को बरकरार रखा था।

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