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कलबुर्गी हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ये गंभीर मामला, सुनवाई की जरूरत

Rashid MA
25 Jan 2019 11:19 AM GMT
कलबुर्गी हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ये गंभीर मामला, सुनवाई की जरूरत
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कन्नड़ लेखक और हंपी विश्विद्यालय के पूर्व कुलपति एम. एम. कलबुर्गी की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये एक गंभीर मामला है और इस पर सुनवाई की जरूरत है।

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस आर. एफ. नरीमन की पीठ ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई 26 फरवरी को होगी और सुनवाई को टाला नही जाएगा।

पीठ ने कहा कि ये गंभीर मामला है और सभी पक्ष अपने दस्तावेज पूरे कर लें, क्योंकि इस मामले की सुनवाई को अब टाला नहीं जाएगा।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि क्या इस केस के तार नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पनसरे और गौरी लंकेश हत्याकांड से जुड़े हो सकते हैं?

11 दिसंबर 2018 को इस मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस यू. यू. ललित की पीठ ने कहा था कि अगर प्रथम दृष्टया सीबीआई को लगता है कि इन सब मामलों के तार आपस में जुड़े हो सकते हैं, तो कोर्ट एक ही एजेंसी को सारे मामलों की जांच सौंप देगा और ये एजेंसी सीबीआई ही है।

पीठ ने कहा था कि बॉम्बे हाइकोर्ट पहले ही दाभोलकर हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप चुका है, जबकि पनसरे मामले की जांच का जिम्मा महाराष्ट्र ATS के पास है।

वहीं सीबीआई की ओर से पेश वकील ने कहा था कि वो एजेंसी से निर्देश लेकर इस मामले में अपना जवाब दाखिल करेंगे। इस दौरान कर्नाटक सरकार की ओर से पेश वकील देवदत्त कामत ने कहा कि पुलिस की जांच में कलबुर्गी मामले के तार गौरी लंकेश हत्याकांड से जुड़ रहे हैं। पुलिस इन पहलुओं की जांच कर रही है और 3 महीने में जांच पूरी कर अदालत में आरोप पत्र दाखिल करेगी।

27 नवंबर 2018 को कलबुर्गी हत्याकांड की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने सरकार को 2 हफ्ते में यह बताने को कहा था कि इस मामले की जांच कब तक पूरी होगी।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस आर. एफ. नरीमन की पीठ ने कहा था कि कर्नाटक सरकार ने अभी तक जांच में कुछ नहीं किया है।

वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि वो इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को तैयार है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट इस मामले की एसआइटी से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों एनआइए, सीबीआई, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक की सरकारों को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब मांगा था।

कलबुर्गी की पत्नी उमादेवी कलबुर्गी ने सुप्रीम कोर्ट में दिवंगत पत्रकार की हत्या की जांच, रिटायर जज की निगरानी में SIT से कराने के लिए याचिका दायर की थी। मार्च में केंद्र ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि NIA का इस हत्याकांड की जांच से कोई लेना- देना नहीं है क्योंकि इसमें आतंकवादी घटना नहीं हुई है।

गौरतलब है कि कलबुर्गी की पत्नी की ओर से दायर याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि उनके पति की हत्या के मामले में अब तक कोई ठोस जांच नहीं की गई है।

हंपी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और जाने-माने बुद्धिजीवी कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को कर्नाटक के धारवाड़ में उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वह 77 वर्ष के थे। वह साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार थे।

याचिका में कलबुर्गी की पत्नी ने कहा है कि उनके पति, नरेंद्र दाभोलकर तथा गोविंद पनसरे की हत्या के तार आपस में जुड़े हुए हैं। दाभोलकर की हत्या अगस्त 2013 में और पंसारे की हत्या फरवरी 2015 में की गई थी। कलबुर्गी की पत्नी ने कहा है कि दाभोलकर और पनसरे हत्याकांड की जांच बहुत लचर तरीके से की जा रही है। हत्यारों की पकड़ने की दिशा में कोई प्रगति नहीं है। इसलिए इसकी जांच SIT से कराई जानी चाहिए

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