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सबरीमला मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाएं सुप्रीम कोर्ट पहुंची, शुक्रवार को सुनवाई

Rashid MA
17 Jan 2019 10:12 AM GMT
सबरीमला मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाएं सुप्रीम कोर्ट पहुंची, शुक्रवार को सुनवाई
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केरल के सबरीमला स्थित अयप्पा मंदिर में प्रवेश करने वाली 2 महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में प्रशासन को मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की व्यवस्था करने और दोनों महिलाओं को 24 घंटे सुरक्षा देने की गुहार लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई करने को तैयार हो गया है।

गुरुवार को वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि एक महिला अस्पताल में है। दोनों की जान को खतरा है। उन्हें 24 घंटे सुरक्षा दी जाए और उनके पते सील कवर में रखे जाएं। चीफ जस्टिस ने कहा कि वो शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करेंगे।

दरअसल केरल के सबरीमला स्थित अयप्पा मंदिर में 3 जनवरी की सुबह दो महिलाओं ने प्रवेश किया था। कनकदुर्गा (44) और बिंदु (42) बुधवार को 3.38 बजे मंदिर पहुंच गई थीं। मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के बाद मुख्य पुजारी ने 'शुद्धिकरण' समारोह के लिए मंदिर के गर्भ गृह को बंद करने का फैसला किया। मंदिर को तड़के 3 बजे खोला गया था और 'शुद्धिकरण' के लिए उसे सुबह साढे 10 बजे बंद कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में दोनों ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट प्रशासन को आदेश जारी करे कि वो मंदिर जाने वाली 10 से 50 साल की आयु की महिलाओं की सुरक्षा करे और पूरे रास्ते उन्हें सुरक्षित रखने के इंतजाम करे। याचिका में ये भी कहा गया है कि दोनों को 24 घंटे सुरक्षा दी जाए और प्रशासन को निर्देश दिया जाए कि किसी भी विरोध प्रदर्शन, हिंसा व सोशल मीडिया के जरिए उनपर हमलों से उन्हें बचाया जाए।

याचिका में ये भी कहा गया है कि अगर इस आयु की कोई अन्य महिला मंदिर में प्रवेश करती है तो वहां शुद्धिकरण की क्रिया नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ये घोषित करे कि शुद्धिकरण करना, महिलाओं की लगरिमा और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में 28 सितंबर 2018 के पांच जजों की संविधान पीठ के फैसले को लेकर 49 पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई हैं। फैसले में 4:1 के बहुमत से कहा गया कि सभी उम्र की महिलाएं केरल के सबरीमला मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं।

पीठ ने 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा को अंसवैधानिक करार दिया है। इससे पहले संविधान पीठ में शामिल चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा रिटायर हो चुके हैं और उनकी जगह चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ली है।

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