अहमद पटेल को सुप्रीम कोर्ट से झटका, पीठ ने कहा, " जाइए ट्रायल का सामना कीजिए "
LiveLaw News Network
5 Jan 2019 7:41 PM IST
कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और गुजरात के एकमात्र मुस्लिम सांसद अहमद पटेल को उस वक्त झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गुजरात उच्च न्यायालय से कहा कि वह पटेल के खिलाफ दायर चुनाव याचिका की सुनवाई के लिए आगे बढ़े जिसमें अगस्त 2017 में हुए चुनाव को चुनौती दी गई है।
जब चुनाव याचिका पर विचार करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली पटेल की याचिका की सुनवाई शुरु हुई और इससे पहले कि उनके वकील कपिल सिब्बल भी दलीलें दे सकें, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने कहा, "जाइए और ट्रायल का सामना कीजिए।"
बहस शुरू हुई तो सिब्बल के साथ वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी शामिल हुए जबकि पटेल के प्रतिद्वंद्वी बलवंतसिंह राजपूत का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह और सी ए सुंदरम ने किया।
सिब्बल और सिंघवी दोनों ने राजपूत की चुनाव याचिका में खामियों को इंगित करने का प्रयास किया। दोनों की सुनवाई के बाद पीठ ने कहा कि फरवरी में विस्तार से दलीलें सुनी जाएंगी और इस बीच उच्च न्यायालय चुनाव याचिका के ट्रायल के साथ आगे बढ़ेगा।
इस दौरान सिब्बल ने कहा कि पटेल द्वारा मुकदमेबाजी के पहले दौर के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को मुकदमे को आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी, लेकिन अंतिम आदेशों को पारित करने से रोक दिया था।
उन्होंने पीठ से अनुरोध किया कि इसी तरह का अंतरिम आदेश अब इस पीठ द्वारा भी पारित किया जाना चाहिए लेकिन पीठ ने मांग को खारिज कर दिया और कहा, " यह (आज का आदेश) ऐसे सभी अंतरिम आदेशों से ऊपर होगा जो पहले पारित किए जा चुके हैं।"
दरअसल पटेल ने 8 अगस्त, 2017 को भाजपा के अमित शाह और स्मृति ईरानी के साथ गुजरात से राज्यसभा चुनाव जीता था। चुनाव से पहले, कांग्रेस के मुख्य सचेतक बलवंतसिंह राजपूत ने अपनी पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल होकर राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया। इसके बाद पांच कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे हुए और आठ ने खुले तौर पर विद्रोह किया। इसके बाद भी अहमद पटेल चुनाव जीत गए।
पटेल के निर्वाचित होने के तुरंत बाद राजपूत ने चुनाव आयोग के दो बागी कांग्रेस विधायकों के वोटों को अमान्य करने के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की जिसमें दावा किया गया था कि अगर उन दो वोटों की गिनती की जाती तो वह पटेल को हरा देते। उन्होंने पटेल पर कांग्रेस विधायकों पर अनुचित प्रभाव डालने का आरोप लगाया और उन्हें चुनाव से पहले बेंगलुरु के एक रिसॉर्ट में सीमित करके अपनी अंतरात्मा की आवाज के अनुसार वोट देने के अवसर से वंचित कर दिया था।
पटेल ने राजपूत की याचिका को सुनवाई योग्य होने की चुनौती देते हुए तीन अर्जियों के साथ कोर्ट का रुख किया। उन्होंने दावा किया था कि राजपूत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 80 के तहत महत्वपूर्ण तकनीकीआवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहे हैं। पटेल की चुनाव याचिका के खिलाफ शिकायत यह थी कि हाईकोर्ट में दायर याचिका की प्रतिलिपि और राजपूत द्वारा उन्हें दी गई याचिका में कई विरोधाभास थे, जो कांग्रेसी नेता के अनुसार एक चुनाव याचिका के लिए घातक था। लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और राजपूत की चुनाव याचिका को सुनवाई के लिए आदेश दिया।
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