मोदी, शाह जैसे बयान कोई और नेता दे तो कठोर कदम उठाता है चुनाव आयोग : सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देशों की मांग की
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6 May 2019 8:29 AM GMT
चुनाव प्रचार के दौरान कथित रूप से हेट स्पीच देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह को क्लीन चिट देने के मामले में चुनाव आयोग के आदेशों को रिकॉर्ड पर रखने की सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव को अनुमति दी है और अब सुप्रीम कोर्ट 8 मई को इस पर सुनवाई करेगा।
उनका कहना था कि चुनाव आयोग ने पूर्व में बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा नेता आजम खान, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा नेता मेनका गांधी के लिए एक समान आधार पर चुनाव प्रचार करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
उन्होंने अदालत से भविष्य में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देशों को निर्धारित करने के बड़े मुद्दे को उठाने का आग्रह किया है।
इससे पहले, 2 मई को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देंश दिया था कि वो पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के चुनावी भाषणों में आचार संहिता का उल्लंघन करने की शिकायतों पर सोमवार 6 मई तक फैसला करे।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि चुनाव आयोग को इस संबंध में स्पष्ट सबूत दिए गए हैं कि किस तरह लोकसभा चुनाव में आचार संहिता का उल्लंघन किया जा रहा है, लेकिन चुनाव आयोग इस संबंध में कोई भी निर्णय लेने में पूरी तरह निष्क्रिय है। आरोप है कि उत्तरदाता/ECI संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का पूर्ण और प्रत्यक्ष उल्लंघन कर रहा है और जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष आम चुनाव, 2019 बाधित हो रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि 10 मार्च 2019 से यानी आम चुनाव 2019 की तारीख की अधिसूचना जारी होने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों और राज्यों में जनप्रतिनिधि अधिनियम, चुनाव के नियमों और इस प्रक्रिया के प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसके अलावा याचिका में बताया गया है कि 23 अप्रैल, 2019 को गुजरात में मतदान के दिन आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के तौर पर प्रधानमंत्री ने एक रैली आयोजित की गयी थी।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि चुनाव आयोग ने बीएसपी अध्यक्ष मायावती और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ इसी तरह के उल्लंघन के लिए कड़ी कार्रवाई की थी। याचिका में यह अनुरोध किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट इन शिकायतों पर 24 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को फैसला लेने के निर्देश जारी करे।