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सीजेआई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने का मामला-सुप्रीम कोर्ट ने कहा,सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करने के लिए रची गई है बड़ी साजिश

Live Law Hindi
20 April 2019 1:14 PM GMT
सीजेआई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने का मामला-सुप्रीम कोर्ट ने कहा,सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करने के लिए रची गई है बड़ी साजिश
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सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मी द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगाई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने के संबंध में मीडिया में आई कुछ रिपोर्ट के बाद शनिवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन जज सदस्यीय बेंच ने विशेष सुनवाई की। इस बेंच में खुद सीजेआई,जस्टिस अरूण मिश्रा व जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे।

रजिस्ट्री की तरफ से जारी नोटिस में बताया गया है कि यह विशेष सुनवाई एक महत्वपूर्ण मामले पर विचार करने के लिए की गई थी,जो कि आम जनहित का है क्योंकि इस मामले से न्यायपालिका की स्वतंत्रता को छूआ गया है।

सीजेआई ने माना कि उनको वायर,लीफलेट,कारवन एंड स्क्रोल से सूचना मिली है और कहा कि-

मैं इस मामले में यही कहना चाहता हूं िकइस बात में कोई संदेह नहीं है कि सभी कर्मचारियों के साथ अच्छा व निष्पक्ष व्यवहार किया जाता है। आरोप लगाने वाली कर्मी सिर्फ डेढ़ महीना काम करके गई थी। अब आरोप लगाए गए है और मैं यह उचित नहीं समझता हूं कि इन आरोपों के जवाब दूं।

उन्होंनें आगे कहा कि-

बीस साल निस्वार्थ सेवा की है। अब यह अविश्वसनीय है कि मेरे बैंक खाते में मात्र 6,80000रुपए है। यही मेरी कुल पूंजी है। जब मैंने बतौर जज काम करना शुरू किया,मुझे बहुत उम्मीद थी,परंतु अब जब मैं रिटायर होने के करीब हूं,मेरे पास मात्र 6,80000 रुपए है। यही मेरी मेहनत का ईनाम है।

सीजेआई ने कहा कि उनको विश्वास है िकइस पूरे प्रकरण के पीछे कोई बड़ी साजिश है। ऐसा उन लोगों ने किया है जो सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करना चाहते है। उन्होंने कहा कि-

न्यायपालिका की स्वायत्ता गंभीर खतरे में है। अगर जजों को ऐसी परिस्थितियों के तहत काम करना होगा,तो अच्छे लोग इस कार्यालय में कभी नहीं आएंगे। मैं इस देश के नागरिकों से कहना चाहता हूं िकइस देश की न्यायपालिका गंभीर खतरे में है। उन्होंने यह भी साफ किया िकवह बिना डरे अपना काम करते रहेंगे।

साॅलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने इन आरोपों को ब्लैकमेल करने की तकनीक करार दिया,वहीं अॅटार्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को उजागर करते हुए कहा िकनाम छाप दिए गए है,जबकि कानूनी तौर पर ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। जस्टिस अरूण मिश्रा,जो मामले की सुनवाई कर रही खंडपीठ में शामिल थे,उन्होंने कहा िकइस समय हम कोई न्यायिक आदेश नहीं दे रहे है। यह मीडिया के विवेक पर निर्भर करता है िकवह खुद निर्धारित करे कि क्या छापना है और क्या नहीं।

सीजेआई ने इस मामले पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि-

अगर इसी तरह के हमले होते रहेंगे तो कोई जज किसी केस में फैसला ही नहीं कर पाएगा। हमारे पास अपना मान-सम्मान ही होता है,जो हमें मिलता है। अगर इस पर भी हमला किया जाएगा तो क्या होगा।

बेंच ने कहा कि एक उचित बेंच यौन उत्पीड़न के आरोपों की सुनवाई करेगी।

क्या है मीडिया रिपोर्ट

स्क्रोल की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व जूनियर कोर्ट असिस्टेंट ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को पत्र लिखकर सीजेआई रंजन गोगाई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। 28 पेज के इस पत्र में,जो कि एक हलफनामे की तरह था, पूर्व कर्मचारी ने कहा कि उन्होंने जब सीजेआई का कहा नहीं माना तो इस कारण उसे व उसके परिवार को प्रताड़ना का सामना करना पड़ा।

अपने इस हलफनामे में उसने उस वातावरण के बारे में बताया जो उसने बतौर जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के नौकरी शुरू करने के दिन से देखा था। उसने बताया कि 11 अगस्त 2018 को उसने नौकरी शुरू की थी। उसे सीजेआई रंजन गोगाई के आवास पर स्थित कार्यालय में तैनात किया था। इसके बाद कुछ सप्ताह में ही उसका तीन बार तबादला किया गया। पहला 22 अक्टूबर 2018 को उसे सीआरपी यानि सेंटर फाॅर रिसर्च एंड प्लानिंग,उसके बाद एडमीन मैटिरियल सेक्शन और अंत में उसे 22 नवम्बर 2018 को लाईब्रेरी में भेज दिया गया। हालांकि 19 नवम्बर को उसे एक मैमोरंडम भेजकर बताया गया था कि उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी गई है। दिसम्बर 2018 को उसे बर्खास्त कर दिया गया। उसे पति दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल है। जो जून 2013 से कार्यरत है। उसके पति का भी अचानक क्राइम ब्रांच डिविजन से तबादला कर दिया गया है। उसने दावा किया है कि उसे इस आरोप में गिरफतार किया गया थाकि उसने एक व्यक्ति से वर्ष 2017 में पचास हजार रुपए लिए थे। उसने उस व्यक्ति से वादा किया था िकवह उसे सुप्रीम कोर्ट में नौकरी दिलवा देगी,परंतु वह अपना वादा पूरा नहीं कर पाई थी।

सुप्रीम कोर्ट का जवाब

सेक्रेटरी जनरल ने कई मीडिया हाउस को भेजे अपने जवाबी मेल में कहा है कि-महिला ने जितने दिन काम किया है,चाहे उसमें सीजेआई का आवासीय कार्यालय शामिल हो या फिर जहां-जहां उसे तबादला करके भेजा गया था या जिस समय उसे बर्खास्त किया गया या उसके बाद भी। उसने इस तरह की कोई शिकायत नहीं की,जिस तरह के आरोप अब लगाए है। यह एक दुष्ट भावना से लगाए गए आरोप ही नहीं बल्कि बाद में सोची-समझी मनघंड़त कहानी के तहत ऐसे आरोप लगाए गए है।
ऐसा लग रहा है कि यह सभी आरोप दबाव बनाने की नीति के तहत लगाए गए है। ताकि वह उन सभी कार्यवाहियों से बच सके जो उसके व उसके परिवार के खिलाफ चल रही है। जबकि वह सभी कार्यवाही उनके द्वारा खुद किए गए गलत कामों के कारण शुरू की गई है। इस बात की भी पूरी संभावना है कि इसके पीछे कुछ दुष्ट या शरारती लोग काम कर रहे हो ताकि इस संस्थान को नुकसान पहुंचा सके या बदनाम कर सके।
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