राम जन्मभूमि-बाबरी विवाद: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या में गैर-विवादित भूमि को वापस करने की इजाजत मांगी

Rashid MA

29 Jan 2019 4:02 PM GMT

  • राम जन्मभूमि-बाबरी विवाद: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या में गैर-विवादित भूमि को वापस करने की इजाजत मांगी

    राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में उस वक़्त एक बड़ा ट्विस्ट आ गया जब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर, बाबरी- रामजन्मभूमि की विवादित भूमि के आसपास अधिग्रहीत की गई "निर्विवाद" भूमि को वापस देने की अनुमति मांगी है।

    केंद्र की अर्जी के मुताबिक केंद्र ने अयोध्या में 67.703 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था, जिसमें उस भूखंड को भी शामिल किया गया था, जिसपर बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाने वाले ढांचा स्थित था। ये जमीन अयोध्या अधिनियम, 1993 के तहत अधिग्रहीत की गई।

    विवाद केवल 0.313 एकड़ भूमि से संबंधित है, जहां बाबरी मस्जिद खड़ी थी, और ऐसा कहा गया कि अतिरिक्त भूमि को उसके सही मालिकों को वापस करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसमें 42 एकड़ भूमि रामजन्मभूमि न्यास की है।

    केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के वर्ष 2003 के असलम भूरे बनाम राजेंद्र बाबू केस में फैसले को संशोधित करने की मांग की है जिसमें कहा गया था कि अतिरिक्त जमीन को असल विवाद के निपटारे के बाद वापस किया जाएगा।

    केंद्र की अर्जी ऐसे समय में आई है जब सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संविधान पीठ, जमीनी विवाद की सुनवाई को तैयार है।जमीन विवाद पर सुनवाई करने के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने नई संविधान पीठ का गठन किया है जिसमें जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर को फिर से शामिल किया गया है।

    अब इस पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबडे, डी. वाई. चंद्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर होंगे। पीठ में जस्टिस एन. वी. रमना को शामिल नहीं किया गया है, जबकि जस्टिस यू. यू. ललित ने इस मामले की सुनवाई से खुद को पहले ही अलग कर लिया था।

    10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संविधान पीठ में इस मामले की सुनवाई उस वक्त टल गई थी जब पीठ में शामिल जज जस्टिस यू. यू. ललित ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था, क्योंकि वो वर्ष 1997 में बाबरी मस्जिद मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए पेश हुए थे।

    नई पीठ को 29 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करनी थी, लेकिन जस्टिस बोबड़े के छुट्टी पर होने की वजह से सुनवाई टल गई है।

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