जानें चुनाव परिणाम को चुनौती देने की सम्पूर्ण प्रक्रिया
Live Law Hindi
22 April 2019 9:25 AM IST
"शाश्वत सतर्कता स्वतंत्रता की कीमत है"
हालिया मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 17 वीं लोकसभा के चुनावों में "भ्रष्ट आचरण (corrupt practices)" में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई है। चुनाव आयोग ने प्रचार के दौरान अभद्र भाषा, सांप्रदायिक अपील और अपमानजनक टिप्पणी के लिए कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं द्वारा प्रचार पर पाबंदी लगाई है। कैश-फॉर-वोट के उपयोग की खबरें हैं, और ईसीआई द्वारा मतदाताओं को वोट देने के बदले पैसे दिए जाने की घटना का पता चलने के बाद वेल्लोर निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव रद्द कर दिया गया है।
यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुनाव प्रक्रिया, जिसे लोकतंत्र में एक पवित्र अनुष्ठान की तरह किया जाना है, को इस तरह के व्यवहार में लाया जाता है।
कर्तव्यनिष्ठ नागरिकों को निश्चित रूप से इस तरह की घटनाओं के चलते पीड़ा महसूस होगी। लेकिन मात्र नैतिक आक्रोश करने से कोई उपाय नहीं निकलेगा, जब तक कि इस आक्रोश का उपयोग कानून के माध्यम से कार्रवाई करने के लिए नहीं किया जाता।
हमारा कानून, एक नागरिक को एक चुनावी फैसले को, अगर उसे भ्रष्ट आचरण के माध्यम से सुरक्षित किया गया है, चुनौती देने के लिए उपयुक्त हथियार देता है।
यहाँ इस लेख में चुनाव में भ्रष्ट आचरण से संबंधित कानून की संक्षिप्त व्याख्या करने का प्रयास किया गया है।
भ्रष्ट आचरणों के आधार पर, एक उम्मीदवार या एक मतदाता इलेक्शन ट्रिब्यूनल के समक्ष चुनाव याचिका दायर कर सकता है। मुकदमा दायर करने वाले व्यक्ति को यह ध्यान में रखना चाहिए कि, समकालीन रिकॉर्ड एक चुनाव याचिका के आवश्यक अंग हैं। जब भी किसी भ्रष्ट आचरण की सूचना सामने आती है, तो उसे लिखित रूप में चुनाव आयोग के समक्ष या संबंधित पुलिस अधिकारी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। भ्रष्ट चुनावी आचरण को उजागर करने वाले अभिलेखों, दस्तावेजों आदि का संग्रह करना भी मूल्यवान राजनीतिक गतिविधियाँ हैं।
चुनाव याचिका दायर करने की प्रक्रिया और चुनौती के आधार नीचे दिए गए हैं।
चुनाव याचिका
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 80 में चुनाव याचिका के बारे में उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि "कोई भी निर्वाचन इस भाग के प्रावधान के अनुसार उपस्थित की गई निर्वाचन अर्जी द्वारा प्रश्नगत किये जाने के सिवाय प्रश्नगत न किया जाएगा"।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत चुनाव याचिका पर उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय दिया जाता है। चुनाव परिणाम की घोषणा के 45 दिनों के भीतर चुनाव याचिका किसी भी उम्मीदवार या किसी भी निर्वाचक द्वारा एक या एक से अधिक आधार पर प्रस्तुत की जा सकती है।
याचिका में क्या-क्या सामग्री होनी चाहिए यह अधिनियम की धारा 83 में वर्णित है।
(ए) मुख्य तथ्यों का संक्षिप्त विवरण
(ख) याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए भ्रष्ट आचरण के आरोप का पूर्ण विवरण
(c) याचिकाकर्ता के हस्ताक्षर
चुनाव को शून्य घोषित करने का आधार (अधिनियम की धारा 100):
(a) एक चुनावी उम्मीदवार योग्य नहीं था।
(b) किसी भी भ्रष्ट आचरण को उपयोग में लिया गया है
(c) किसी भी नामांकन को अनुचित रूप से अस्वीकार कर दिया गया है।
(d) चुनाव का परिणाम मुख्य रूप से प्रभावित हुआ है
(i) किसी भी नामांकन की अनुचित स्वीकृति द्वारा
(ii) किसी भी भ्रष्ट आचरण के उपयोग द्वारा
(g) अनुचित रूप से पड़े वोट, किसी भी वोट की अनुचित अस्वीकृति, या अग्रहण द्वारा।
(iv) संविधान या इस अधिनियम या इस अधिनियम के तहत बनाए गए किसी भी नियम या आदेश के प्रावधानों का पालन न करने पर।
"भ्रष्ट आचरण" क्या हैं?
"भ्रष्ट आचरण" को अधिनियम की धारा 123 के तहत परिभाषित किया गया है। भ्रष्ट आचरण के बारे में चर्चा करने से पहले, यह ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि लोकप्रतिनिधित्व कानून के तहत किसी रिटर्निंग उम्मीदवार के चुनाव पर सवाल उठाने के लिए, उम्मीदवार द्वारा स्वयं 'भ्रष्ट आचरण' को उपयोग में लिए जाने की आवश्यकता नहीं है। अनुभाग में प्रयुक्त भाषा बहुत प्रासंगिक है। यह इस प्रकार शुरू होती है:
"(भ्रष्ट आचरण के उपायोग के संबंध में) एक उम्मीदवार द्वारा या उसके एजेंट द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उम्मीदवार या उसके चुनाव एजेंट की सहमति से"।
इसलिए, भले ही भ्रष्ट आचरण स्वयं उम्मीदवार द्वारा उपयोग में न लिए गए हों, पर यदि यह उम्मीदवार की सहमति और सम्मति के साथ उपयोग में लिए गए हैं, तो उम्मीदवार उत्तरदायी है।
मुख्य "भ्रष्ट आचरण: जो धारा 123 के तहत बताए गए हैं, वो हैं:
धारा 123 (1): रिश्वत (Bribery)
(A) कोई उपहार, प्रस्ताव या वादा
(a) खड़े होने या न होने या प्रत्याशी बनने से पीछे हटने या न हटने के लिए।
(b) चुनाव में मतदान करने या मतदान करने से परहेज करने के लिए निर्वाचक को
(B) चाहे हेतुक के रूप में या इनामवत कोई परितोषण प्राप्त करना या प्राप्त करने के लिए करार करना।
धारा 123 (2): असम्यक असर डालना (Undue Influence)
किसी निर्वाचन अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप या प्रयास या तो उम्मीदवार द्वारा या उसके एजेंट द्वारा, या उम्मीदवार या उसके चुनाव एजेंट की सहमति से किसी अन्य द्वारा।
कोई भी व्यक्ति जो:
(i) किसी भी उम्मीदवार या किसी भी निर्वाचक या किसी भी ऐसे व्यक्ति को, जिससे कोई उम्मीदवार या निर्वाचक हितबद्ध है, किसी भी प्रकार की क्षति, जिसके अंतर्गत सामाजिक बहिष्कार और किसी जाति या समुदाय से बाहर करना या निष्कासन आता है, पहुँचाने की धमकी देता है, अथवा
(Ii) एक उम्मीदवार या एक निर्वाचक को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करता है या उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करता है कि वह या कोई ऐसा व्यक्ति, जिससे वह हितबद्ध है, दैवी अप्रसाद या आध्यात्मिक परिनिन्दा का भाजन हो जाएगा या बना दिया जाएगा।
यह समझा जाएगा कि वह ऐसे उम्मीदवार या निर्वाचक के निर्वाचन अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करता है।
धारा 123 (3): धर्म, जाति, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर वोट की अपील।
किसी व्यक्ति के धर्म, मूलवंश, जाति, समुदाय, या भाषा के आधार पर किसी व्यक्ति के लिए मत देने या मत देने से विरत रहने की एक उम्मीदवार या उसके एजेंट द्वारा या उम्मीदवार या उसके एजेंट की सहमति से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अपील या उस उम्मीदवार के निर्वाचन की सम्भाव्यताओं को अग्रसर करने के लिए या किसी उम्मीदवार के निर्वाचन पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए धार्मिक प्रतीकों का उपयोग या उनकी दुहाई, या राष्ट्रीय प्रतीक या राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय संप्रतीक का उपयोग या दुहाई।
धारा 123 (3A): घृणा और द्वंद्व को बढ़ावा देना
किसी उम्मीदवार या उसके एजेंट द्वारा या उम्मीदवार या उसके एजेंट की सहमति से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उस उम्मीदवार के निर्वाचन की सम्भाव्यताओं को अग्रसर करने के लिए या किसी उम्मीदवार के निर्वाचन पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए शत्रुता या घृणा की भावनाएं भारत के नागरिकों के विभिन्न वर्गों के बीच धर्म, मूलवंश, जाति, समुदाय या भाषा के आधार संप्रवर्तन या संप्रवर्तन का प्रयत्न करना।
धारा 123 (4) वैयक्तिक शील
किसी भी बयान का प्रकाशन जो व्यक्तिगत चरित्र, या किसी भी उम्मीदवार के आचरण के संबंध में गलत है।
धारा 123 (5): निर्वाचक के नि: शुल्क यातायात के लिए किसी भी वाहन को किराए पर लेना या खरीदना।
धारा 123 (6): अधिनियम की धारा 77 के उल्लंघन में व्यय (यह सीमित है)।
धारा 123 (7): सरकारी अधिकारियों से उस उम्मीदवारों के चुनाव की संभावना को आगे बढ़ाने के लिए किसी भी सहायता को प्राप्त करना।
धारा 123 (8): बूथ कैप्चरिंग।
यह सच है कि, ऊपर प्रस्तुत सामग्री निर्णायक नहीं है, लेकिन, सांकेतिक है। हमारे लोकतंत्र को फलने-फूलने में मदद करने के लिए, यह आवश्यक है कि भ्रष्ट आचरण के प्रत्येक उदाहरण को बाहर किया जाए और उससे मजबूती से निपटा जाए।
जैसा कि कहा जाता है "शाश्वत सतर्कता स्वतंत्रता की कीमत है"
इसलिए, जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, सतर्क रहना एवं या यह सुनिश्चित करना कि चुनावी उम्मीदवार संवैधानिक नैतिकता के अनुसार काम कर रहे हैं, हमारा कर्तव्य है।
(लेखक केरल उच्च न्यायालय में वकालत करने वाले अधिवक्ता हैं)