एटीएम कार्ड से पैसा गायब हुआ है तो अपनायें ये क़ानूनी उपाय
शोभित अवस्थी
16 Feb 2019 1:32 PM IST
प्रकृति और अपराध के प्रकार कभी ठहर नहीं सकते। समय और प्रगति के साथ बदलते रहते हैं। जहाँ एक ओर आधुनिक विज्ञान और तकनीक ने समाज के फ़ायदे को बढ़ाया है , वहीं दूसरी ओर कुछ अवांछित तत्वों को इससे अपराध करने का नया तरीका भी मिला है। लेकिन समाज में बदलाव के साथ - साथ समाज की सुरक्षा व जरूरतों को पूरा करने के लिए क़ानून भी अपने में परिवर्तन को प्रोत्साहित करता है। इन्ही बातों को समझते हुए , भारतीय संसद ने सन २००२ में 'सूचना तकनीक अधिनियम २००२' को पारित किया। जिससे की इस प्रकार के साइबर अपराधों को रोका जा सके।
अब अगर पिछले कुछ वर्षों को देखा जाये , तो जहाँ लेन - देन में डिजिटलाइज़ेशन से ई-कॉमर्स की बढ़ोत्तरी हुई है, वहीं साइबर अपराध भी बढ़े हैं। ऐसा ही एक अपराध है, एटीएम से लेन-देन में धोख़ाधड़ी । प्रतिदिन कोई न कोई इस अपराध का शिकार बन रहा है। ऐसे में इस अपराध का विधिक उपचार जानना अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। तो आइये! सर्वप्रथम देखते हैं कि कैसे होती है एटीएम से लेन-देन में धोखाधड़ी, उसके बाद देखेंगे की कब, कैसे और कहाँ पर करें शिकायत साथ ही लेख के अंत में पता करेंगे इससे बचाव के उपाय।
एटीएम से अवैध लेन-देन एवं धोखाधड़ी
यह पैसा चोरी करने की एक नयी प्रक्रिया है। जिसमें उपभोक्ता के एटीएम कार्ड की जानकारी को एटीएम मशीन में या उस कक्ष में अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे की कार्ड डालने वाली जगह पर कार्ड स्कैमर, कीपैड पर छोटा कैमरा आदि लगा के पता किया जाता है। इसके बाद अवैध तरीके से उपभोक्ता की जमा पूंजी को एटीएम से निकाल लिया जाता है।
कब, कैसे और कहाँ करें शिकायत
अपराध से पीड़ित व्यक्ति को शिकायत अवश्य दर्ज़ करनी चाहिए। इस प्रकार के मामलों में शिकायत क्रिमिनल एवं सिविल के दोनों प्रारूपों में करायी जा सकती है। क्रिमिनल के प्रारूप में अपराधी को 'सूचना तकनीक अधिनियम २००२' की धारा ६६ C और ६६ D के अंतर्गत अपराधी माना जायेगा। सिविल के प्रारूप में बैंक द्वारा उपभोक्ता के पैसों की कमीपूर्ति की जाएगी। इसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नियमावली लागू करके सभी बैंकों को सूचना भी दी गयी है। आऱबीआई के नियम आने के बाद सभी बैंकों की ज़िम्मेदारी अब और बढ़ गयी है। उदाहरण के लिए जैसे पहले 'अवैध लेन-देन' सिद्ध करने का भार उपभोक्ता पर होता था, लेकिन अब यह भार बैंक पर होगा।
- बैंक में दर्ज़ करें शिकायत
उपभोक्ताओं की शिकायत एवं समस्याओं को सुलझाना बैंक का एक प्रमुख कार्य है। लेकिन साथ ही उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करवाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान भी रखना चाहिए, जैसे;
- आऱबीआई के नियम के अनुसार ऐसे धोखाधड़ी व अवैध लेन-देन के प्रकरण जहाँ पर बैंक की लापरवाही य कमी पायी जाती है, और या फिर इस प्रकार का उल्लंघन किसी तीसरे पक्ष द्वारा किया जाता है, तब वहाँ पर उपभोक्ता की देयता मतलब लायबिलिटी शून्य होगी। लेकिन इसके लिया पीड़ित उपभोक्ता को बैंक में अपनी शिकायत तीन कार्य दिवस के अंदर दर्ज़ करवानी होगी।
- अगर धोखाधड़ी य अवैध लेन-देन उपभोक्ता की लापरवाही के कारण हुआ है, तो लायबिलिटी उपभोक्ता पर तब तक रहेगी जब तक वह अपनी शिकायत बैंक में दर्ज नहीं करा देता। शिकायत दर्ज़ होने के बाद लायबिलिटी बैंक के ऊपर स्थानांतरित हो जाएगी।
- अगर उपभोक्ता का पैसा किसी व्यक्ति द्वारा एटीएम से निकाल लिया जाता है, और उपभोक्ता इसकी शिकायत तीन कार्य दिवस के बाद लेकिन सात कार्य दिवस के अंदर दर्ज़ करवाता है, तो उपभोक्ता की लायबिलिटी को सीमित कर दिया जायेगा, जो कि 'एटीएम से निकाले गए पैसे' य 'आरबीआई के नियम द्वारा निर्धारित मूल्य' दोनों में से जो भी रक़म कम होगी उसी के बराबर का पैसा बैंक द्वारा उपभोगता को दिया जायेगा।
- अगर उपभोक्ता अपनी शिकायत सात कार्य दिवस के बाद दर्ज करवाता है, तब उसको कितना पैसा बैंक द्वारा दिया जाये यह 'बैंक के बोर्ड की मंजूरी नीति' द्वारा तय किया जायेगा ।
- उपभोक्ता अपनी शिकायत उसी बैंक में दर्ज़ कर सकते हैं जिसमे उनका खाता खुला हुआ है, न कि उस बैंक में जिसके एटीएम से अवैध लेन-देन किया गया है।
- उपभोक्ता को शिकायत दर्ज़ करने के लिए बैंक द्वारा कई विकल्प दिए जाते हैं, जैसे की उपभोक्ता, सम्बंधित बैंक की वेबसाइट पर जा कर अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं। जिसके बाद बैंक उपभोक्ता को एसमएस, ई -मेल य प्रतिउत्तर के द्वारा आगे की कार्यवाही से अवगत कराएगी।
- आरबीआई के नियम के अनुसार देयता धनराशि का भुगतान खाताधारक उपभोक्ता को दस कार्य दिवस के अंदर कर दिया जाये।
- बैंक के शिकायत न दर्ज़ करने पर
अगर बैंक उपभोक्ता की शिकायत नहीं दर्ज करता है, तब इस स्तिथि में उपभोक्ता बैंक लोकपाल में अपनी शिकायत दर्ज़ करवा सकता है। इसके बाद उपभोक्ता चाहे तो बैंक लोकपाल के आदेश की अपील तीस दिनों के अंदर आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के समक्ष कर सकता है। अगर उपभोक्ता अब भी संतुष्ट नहीं है, तो वह उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाने के लिए स्वतंत्र है।
- साइबर सेल में भी दर्ज करें शिकायत
उपभोक्ता अपनी प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस की साइबर सेल में दर्ज़ करवा सकता है। इस प्रकार की साइबर सेल लगभग सभी शहरों एवं महानगरों में बनायी जा चुकी हैं। उपभोक्ता अपनी शिकायत देश की किसी भी साइबर सेल में कर सकता है।
बचाव के लिए सुझाव
वैसे तो आरबीआई ने उपभोक्ता की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कई अमूल-चूल परिवर्तन किये हैं, जैसे की नयी नियामवली को लागू करने के साथ-साथ उपभोक्ता के मोबाइल नंबर और ई-मेल को अकाउंट से जोड़ना, जिससे की किसी भी धोखाधड़ी की खबर तुरन्त पता चल जाये। पुराने मैग्नेटिक स्ट्रिप्स वाले एटीएम कार्ड को नए ईएमवी चिप वाले एटीएम कार्ड से बदलना। आरबीआई के अनुसार इस चिप के कार्ड को तकनीकी रूप से सबसे सुरक्षित माना जा रहा है। इसमें माइक्रोप्रोसेसर चिप लगी होगी। इस चिप के लगने से आपके कार्ड का क्लोन बनाना संभव नहीं है। एटीएम धोखाधड़ी को रोकने के लिए इस तकनीक पर आधारित एटीएम कार्ड को बनाया गया है।
लेकिन साथ ही ऐसे अपराधों से निपटने के लिए उपभोक्ता की जागरूकता भी आवश्यक है। एटीएम से पैसे निकालते वक़्त हमेशा सज़ग रहें और देख लें की मशीन में या आसपास कोई अन्य उपकरण तो नहीं लगा है। अपना पिन कोड छुपा के डालें। अपना एटीएम या पिन कोड न तो किसी को दें और न ही किसी को बतायें। अपनी व अपनों की सुरक्षा को स्वयं भी सुनिश्चित करें।
नोट: अभी तक अगर आपने अपना पुराना कार्ड जिसका प्रचलन ३१ दिसंबर २०१८ से बंद कर दिया गया है को नहीं बदला है, तो अपनी बैंक शाखा में जाके निःशुल्क नये चिप वाले एटीएम कार्ड से बदल सकते हैं।
-यह लेख शोभित अवस्थी द्वारा लिखा गया है, जो की डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ के छात्र हैं।