बार में महिलाओं को अश्लील तरीके से नाचने के लिए प्रोत्साहित करने वाले ग्राहक पर IPC की धारा 294 के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

Amir Ahmad

12 Sep 2024 6:45 AM GMT

  • बार में महिलाओं को अश्लील तरीके से नाचने के लिए प्रोत्साहित करने वाले ग्राहक पर IPC की धारा 294 के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (10 सितंबर) को आईपीसी की धारा 294 के तहत व्यक्ति के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर (FIR) खारिज करते हुए कहा कि उसे केवल बार में महिलाओं को अश्लील तरीके से नाचने के लिए प्रोत्साहित करते हुए दिखाया गया।

    जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा कि डांस बार में महिलाओं को अश्लील तरीके से नाचने के लिए प्रोत्साहित करना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 294 के प्रावधानों को आकर्षित नहीं करेगा।

    पीठ ने कहा कि धारा 294 के तहत दंडनीय अपराध के तत्वों को आकर्षित करने के लिए यह आवश्यक है कि आरोपी व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अश्लील कृत्य करने या सार्वजनिक स्थान पर या उसके आस-पास कोई अश्लील गीत गाने सुनाने या बोलने में लिप्त हो।

    पीठ ने आदेश में कहा,

    "रिकॉर्ड में ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चले कि याचिकाकर्ता कोई अश्लील हरकत कर रहा है या कोई अश्लील गाना गा रहा है या बोल रहा है। बार और रेस्टोरेंट में पाए गए ग्राहकों के बारे में केवल एक सामान्य बयान है कि वे शो का आनंद ले रहे थे और महिला कलाकारों को प्रोत्साहित कर रहे थे। याचिकाकर्ता ऐसा कोई स्पष्ट कार्य नहीं कर रहा था, जिससे प्रोत्साहित शब्द की बाहरी अभिव्यक्ति प्रदर्शित हो सके। वह नाचने वाली महिलाओं पर भारतीय मुद्रा के नोट नहीं फेंक रहा था।"

    इन टिप्पणियों के साथ पीठ ने याचिकाकर्ता कांदिवली निवासी मितेश पुनमिया के खिलाफ 19 फरवरी, 2016 को दर्ज की गई एफआईआर रद्द की। अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार मुंबई पुलिस के सामाजिक कार्य विभाग के छापा मारने वाले दल ने गुप्त सूचना पर 18 फरवरी, 2016 को सी प्रिंसेस बार और रेस्टोरेंट पर छापा मारा और पाया कि उक्त रेस्टोरेंट में कुछ आपत्तिजनक गतिविधियां हो रही हैं।

    छापेमारी दल ने महिलाओं को वेट्रेस के वेश में अश्लील तरीके से नाचते हुए और ग्राहकों को महिलाओं की ओर भारतीय मुद्रा के नोट फेंकते हुए देखा। पुरुष प्रबंधक और वेटर पैसे इकट्ठा कर रहे थे।

    यह भी पाया गया कि ग्राहक नाचने वाली महिलाओं को नाचते समय अश्लील इशारे करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। आवेदक को महिलाओं के अश्लील नृत्य और कृत्यों को देखने वाले ग्राहकों में से एक पाया गया।

    सितंबर 2023 में हाईकोर्ट की समन्वय पीठ ने याचिकाकर्ता पुनमिया के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में लंबित कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि बार में उसकी मौजूदगी ही उसे अश्लीलता के लिए बुक करने के लिए पर्याप्त नहीं थी, क्योंकि उसे नोट फेंकते या अश्लील इशारे करते हुए नहीं पकड़ा गया था। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता महिला नर्तकियों के अश्लील कृत्यों को प्रोत्साहित कर रहा था।

    हालांकि जजों ने हाईकोर्ट के कुछ निर्णयों पर भरोसा किया, जिसमें नीरव रावल बनाम महाराष्ट्र राज्य में दिया गया निर्णय भी शामिल है। इसमें यह माना गया कि केवल ग्राहक के रूप में बार में मौजूद होना, जहां महिलाएं अश्लील तरीके से नृत्य कर रही हों, अश्लीलता के आरोपों को आकर्षित नहीं करेगा। इसलिए पीठ ने एफआईआर रद्द की।

    केस टाइटल- मितेश पुनमिया बनाम महाराष्ट्र राज्य

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