NCLT के आदेश के बाद दाखिल संशोधित ITR दाखिल करने में देरी को माफ करने से CBDT का इनकार अनुचित: बॉम्बे हाईकोर्ट

Amir Ahmad

22 May 2024 7:22 AM GMT

  • NCLT के आदेश के बाद दाखिल संशोधित ITR दाखिल करने में देरी को माफ करने से CBDT का इनकार अनुचित: बॉम्बे हाईकोर्ट

    Bombay High Court

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लिमिटेड द्वारा दाखिल आवेदन खारिज करने वाले CBDT का आदेश खारिज कर दिया। उक्त आवेदन में NCLT के आदेश के अनुसार अकाउंट्स के पुनर्गठन के आधार पर आयकर रिटर्न दाखिल करने में देरी को माफ करने की मांग की गई थी।

    हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 143(3) या 144सी के तहत पारित कोई भी मूल्यांकन आदेश और साथ ही ऐसे वित्तीय वर्ष के लिए परिणामी नोटिस या आदेश, जिनके लिए पुनर्गठित अकाउंट दाखिल किए गए हैं कायम नहीं रहेंगे।

    जस्टिस के.आर. श्रीराम और जस्टिस डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा कि जब अकाउंट्स को NCLT के आदेश के आधार पर पुनर्गठित किया गया और ऐसे अकाउंट्स को NCLT द्वारा स्वीकार किया गया और एमसीए के तहत ROC के साथ भी दाखिल किया गया तो आयकर विभाग ऐसी तुच्छ आपत्तियां कैसे उठा सकता है कि पुनर्गठित अकाउंट्स के आधार पर आयकर रिटर्न दाखिल करने में देरी को भी माफ नहीं किया जाना चाहिए।”

    मामले के संक्षिप्त तथ्यों के अनुसार करदाता के वैधानिक लेखा परीक्षकों ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के कारणों की जानकारी कंपनी रजिस्ट्रार (ROC) को दे दी गई। वैधानिक लेखा परीक्षकों ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दे दिया था, इसलिए आरओसी द्वारा कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 अधिनियम) की धारा 206(1) के तहत जांच की गई। साथ ही अकाउंट बुक और रिकॉर्ड की 2013 अधिनियम की धारा 206(5) के तहत विस्तृत निरीक्षण के निर्देश दिए गए।

    कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) के क्षेत्रीय निदेशक द्वारा जारी और स्टॉक एक्सचेंज के साथ दायर निरीक्षण रिपोर्ट में अनधिकृत और अघोषित लेनदेन का संदर्भ था। अकाउंट बुक्स और वित्तीय विवरणों के पुनर्निर्माण के लिए उक्त रिपोर्ट में की गई सिफारिश के अनुसरण में NCLT ने अकाउंट बुक्स को फिर से खोलने और वित्तीय विवरणों को फिर से तैयार करने की अनुमति दी।

    इसके बाद 31 मार्च, 2019 को समाप्त होने वाले पांच साल के लिए करदाता और उसकी सहायक कंपनियों के अकाउंट्स बुक्स को फिर से खोला गया और MCA द्वारा नियुक्त CA फर्म द्वारा पुनर्गठित किया गया और ऐसे पुनर्गठित खातों की लेखा परीक्षा MCA द्वारा विधिवत नियुक्त अन्य सीए फर्म द्वारा की गई।

    इसके बाद MCA ने NCLT के समक्ष आवेदन दायर किया, जिससे वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2018-19 के लिए करदाता और उसकी सहायक कंपनियों के पुनर्गठित वित्तीय विवरणों को रिकॉर्ड पर लिया जा सके, जिन्हें प्रासंगिक ऑडिट रिपोर्ट के साथ विधिवत ऑडिट किया गया।

    NCLT ने अपने आदेश में देखा कि न तो प्रतिवादियों (जिसमें PCCIT शामिल है) और न ही करदाता की किसी भी भारतीय सहायक कंपनी ने उक्त पुनर्गठित स्टैंडअलोन और समेकित वित्तीय विवरणों पर कोई आपत्ति जताई या संप्रेषित की NCLT के आदेश के आधार पर करदाता ने आयकर वर्ष 2015-16 से 2020-21 के लिए संशोधित रिटर्न दाखिल करने में धारा 119(2)(बी) के तहत देरी की माफी के लिए CBDT के समक्ष आवेदन दायर किया जिसे खारिज कर दिया गया।

    पीठ ने कहा कि CBDT का यह मानना ​​उचित नहीं है कि वर्तमान मामले में कोई वास्तविक कठिनाई नहीं है। इसके अलावा CBDT ने यह मानने के लिए कोई कारण नहीं दिए हैं कि कोई वास्तविक कठिनाई नहीं है।

    के.एस. बिलावाला में समन्वय पीठ के निर्णय पर भरोसा करते हुए, जिसमें यह रेखांकित किया गया कि वास्तविक कठिनाई वाक्यांश पर उदारतापूर्वक विचार किया जाना चाहिए और अधिकारियों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि देरी को माफ करने की शक्ति अधिकारियों को योग्यता के आधार पर मामलों का निपटान करके पक्षों के साथ पर्याप्त न्याय करने में सक्षम बनाने के लिए प्रदान की गई। पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि पुनर्गठित अकाउंट्स के आधार पर रिटर्न दाखिल करने और रिकॉर्ड पर लेने की अनुमति दिए जाने के बाद ही मूल्यांकन आदेश पारित किया जा सकता है और राजस्व मूल्यांकन को फिर से खोल सकता है।

    पीठ ने पाया कि CBDT ने स्वीकार किया कि PCCIT, जो पुस्तकों और वित्तीय विवरणों के पुनर्रचना के लिए NCLT के समक्ष दायर आवेदन के प्रतिवादियों में से एक है, उसने अजीब रुख अपनाया कि चूंकि विभाग की ओर से कोई जवाब या प्रतिक्रिया NCLT के समक्ष दायर नहीं की गई। इसलिए विभाग ने यह संकेत या संदेश नहीं दिया कि वह पुनर्रचना किए गए वित्तीय विवरणों को स्वीकार करता है।”

    पीठ ने बताया कि अकाउंट्स के पुनर्रचना का आदेश देते समय NCLT ने SFIO,ED और CBI के समक्ष लंबित कार्यवाही जारी रखने के सरकार के अधिकारों को बरकरार रखा। इस प्रकार यह देखा कि जब तक राजस्व विभाग पुनर्रचना किए गए अकाउंट्स के आधार पर रिटर्न दाखिल करने की अनुमति नहीं देता, तब तक CBDT द्वारा उठाई गई चिंताओं का समाधान नहीं किया जा सकता।

    पीठ ने उल्लेख किया कि PCCIT ने ACIT से प्राप्त एक पत्र CBDT को भेजा था, जिसमें ACIT ने विलम्ब के लिए क्षमा की बात दोहराई थी, जिससे कर निहितार्थ का पता लगाया जा सके। तत्पश्चात, 02 दिसंबर, 2022 के पत्र के माध्यम से PCCIT ने CBDT के पत्र द्वारा प्रेरित विलम्ब के लिए क्षमा आवेदन को अस्वीकार करने की सिफारिश की, जिसमें PCCIT को एक बार फिर बोर्ड सर्कुलर नंबर 9, 2015 के संदर्भ में करदाता के आवेदन की योग्यता पर विशिष्ट टिप्पणियां/सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था।

    इसलिए इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं पाते हुए कि पहले जो लिया गया था, उससे रुख में बदलाव क्यों हुआ, हाईकोर्ट ने करदाता की याचिका स्वीकार कर ली, जिसमें राजस्व विभाग को करदाता को कर वर्ष 2015-16 से 2020-21 के लिए लेखा पुस्तकों और वित्तीय विवरणों के पुनर्रचना के आधार पर भौतिक रूप में संशोधित रिटर्न दाखिल करने और उसी के आधार पर मूल्यांकन/अपील कार्यवाही करने की अनुमति देने का निर्देश दिया गया।

    केस टाइटल- सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लिमिटेड बनाम आयकर के सहायक आयुक्त

    Next Story