सेक्शन 138 एनआई एक्ट-अगर शिकायतकर्ता ने आईटी रिटर्न दायर नहीं की है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसके पास नहीं है आय का कोई स्रोत्र-एमपी हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]

Update: 2019-03-28 05:11 GMT

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने चेक बाउंस के एक मामले में कहा है कि अगर शिकायतकर्ता ने इनकम टैक्स रिटर्न दायर नहीं की है,इसका मतलब यह नहीं है कि उसके पास आय का कोई स्रोत्र नहीं है। कोर्ट नेगोटिएबल इंस्टरूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत चेक बाउंस के एक मामले की सुनवाई कर रही थी।

शिकायतकर्ता के अनुसार आरोपी ने उससे दस लाख रुपए का लोन लिया था और साथ ही कहा था कि वह इस राशि को छह महीने के अंदर लौटा देगी। इसके बदले आरोपी ने उसको एक चेक दिया था,जो बाउंस हो गया। आरोपी महिला को निचली अदालत ने दोषी करार दिया,बाद में सजा को जिला अदालत ने भी सही ठहराया।

इस मामले में आरोपी की तरफ से दलील दी गई थी कि शिकायतकर्ता अपनी आय का कोई स्रोत्र दिखाने में नाकाम रहा है। साथ ही कहा गया कि शिकायकर्ता ने कभी भी आयकर रिटर्न में अपनी आय के स्रोत्र का जिक्र नहीं किया और न ही उसने कभी आयकर रिटर्न दायर की। इसलिए यह माना जाना चाहिए कि शिकायतकर्ता के पास आय का कोई स्रोत्र नहीं है।

जी.एस अहलुवालिया की तरफ से दायर पुनविचार याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि-''आयकर रिटर्न दायर न करना,करदाता व रेवेन्यू विभाग के बीच का मामला है। अगर करदाता ने अपनी आयकर रिटर्न में अपनी आय का जिक्र नहीं किया है तो आयकर विभाग के पास पूरा अधिकार है िकवह इस मामले में कार्रवाई करे और करदाता की आय की फिर से गणना करें और प्रावधानों के अनुसार उसके खिलाफ कार्रवाई करे। परंतु आयकर रिटर्न दायर न करने का मतलब यह नहीं है कि शिकायकर्ता के पास आय का कोई स्रोत्र नहीं है। इसलिए आयकर रिटर्न दायर न करने को आधार बनाते हुए शिकायतकर्ता के खिलाफ कोई अलग मतलब नहीं निकाला जा सकता है।''

बेंच ने कहा कि निचली अदालतों ने ठीक माना है कि आरोपी ने अपने कानूनी दायित्वों को पूरा करने के लिए चेक जारी किया था,जिसे उसके निर्देश पर बैंक ने वापिस कर दिया। आरोपी महिला यह नहीं बता पाई कि उसने किन परिस्थितियों व क्यों यह चेक जारी किया था या कैसे शिकायकर्ता ने उसके चेक का दुरुपयोग किया है। ऐसे में यह साफ तौर पर माना जा सकता है कि आरोपी ने यह चेक अपने कानूनी दायित्वों को पूरा करने के लिए जारी किया था।


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