बीमा प्रस्ताव फ़ॉर्म में पहले से मौजूद बीमारी का ज़िक्र नहीं करना अस्वीकरण का उचित आधार : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

Update: 2019-04-30 05:27 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जीवन बीमा निगम की एक याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें उसने कहा था कि बीमित व्यक्ति ने हृदय की बीमारी का ज़िक्र नहीं किया था और इसलिए उसके पास अस्वीकरण का उचित अधिकार है।

मनीष गुप्ता ने एलआईसी की मेडिक्लेम पॉलिसी ख़रीदी थी। इसके लिए प्रस्ताव फ़ॉर्म में स्वास्थ्य और चिकित्सा संबंधी विवरण भरने की ज़रूरत होती है। उसने हृदय रोग से संबंधित सूचनाओं के बारे में नकारात्मक जानकारी दी थी।

पर माइट्रल वाल्व रेप्लेस्मेंट ऑपरेशन होने के बाद उसने दावा किया। एलआईसी ने इस दावे को इसलिए ख़ारिज कर दिया कि वह बीमा लेने से पहले ही इस बीमारी से ग्रस्त था।

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग एनसीडीआरसी ने राज्य उपभोक्ता आयोग और ज़िला फ़ोरम जिसने उसकी अपील माँ ली थी, ने इस बात की पुष्टि की कि डॉक्टर के नोट में इस बात का संकेत नहीं है मरीज़ द्वारा दी गई सूचना पर यह आधारित है। एलआईसी की अपील पर पीठ ने कहा, "…इलाज का रेकर्ड बताता है कि प्रतिवादी का एमवीआर का ऑपरेशन हुआ। ऐसा बताया गया है कि उसको रूमैटिक हार्ट डिजीज है। हॉस्पिटल ने उसकी इसी बात की इलाज की है।

कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी कोई ख़ुलासा नहीं करने के आधार पर उसके दावे को निरस्त कर दिया गया है। इस अपील को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा,

"इस बात के दस्तावेज़ी साक्ष्य हैं कि प्रतिवादी ने इस बात का ज़िक्र नहीं किया था कि उसे बचपन से ही हृदय रोग है। इस तरह उसके दावे को नीति के अनुरूप ही ख़ारिज कर दिया गया है…और बीमाकर्ता ने सही आधार पर ऐसा किया है।"


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