इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माघ मेले के लिए शिक्षण संस्थानों की इमारतों में राज्य बलों की तैनाती के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश सरकार के हाल ही में सूबेदारगंज (प्रयागराज) में शिक्षण संस्थानों की इमारतों को राज्य बलों की तैनाती के लिए अधिग्रहित करने के निर्णय पर अपनी चिंता व्यक्त की ताकि आगामी माघ मेले के कारण किसी भी दुर्घटना से निपटा जा सके।
माघ मेला हिंदुओं के लिए सबसे बड़े वार्षिक धार्मिक आयोजनों में से एक है। यह प्रयागराज शहर में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है जिसमें लाखों तीर्थयात्री और भक्त आते हैं। यह मेला नवंबर में शुरू हुआ और मार्च 2025 के मध्य तक जारी रहेगा।
आयोजन की सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियों के हिस्से के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में राज्य बलों की तैनाती के लिए मेला क्षेत्र में और उसके आसपास कई शिक्षण संस्थानों की इमारतों को अपने नियंत्रण में ले लिया।
जस्टिस अजीत कुमार की पीठ ने इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और स्टूडेंट्स, खासकर यूपी से संबद्ध संस्थानों में नामांकित स्टूडेंट पर इसके प्रभाव पर सवाल उठाया। बोर्ड परीक्षाएं नजदीक आ रही हैं। ऐसे में हाई स्कूल और इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड के स्टूडेंट्स को जबरन स्कूल और कॉलेजों में जगह देने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि इस दौरान दूसरे जिलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स पूरी सुविधाएं बेहतर व्यवस्था का लाभ उठाएंगे। बोर्ड की परीक्षा में भाग लेंगे इसलिए संस्थान भी बोर्ड परीक्षाओं का उचित संचालन कर पाएंगे लेकिन इलाहाबाद शहर में माघ मेला आयोजित होने के कारण स्टूडेंट्स और संस्थानों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
न्यायालय ने कहा कि यह समझना कठिन है कि राज्य सरकार ने इस अवधि के दौरान स्टूडेंट्स की शिक्षा और बोर्ड की परीक्षा के उचित संचालन का ध्यान कैसे नहीं रखा। इसे देखते हुए न्यायालय ने अपर मुख्य सचिव (गृह) उत्तर प्रदेश और अपर मुख्य सचिव (माध्यमिक शिक्षा) उत्तर प्रदेश को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया कि वे इस अवधि के दौरान बोर्ड परीक्षा का उचित संचालन कैसे सुनिश्चित करेंगे, जबकि बोर्ड से संबद्ध निजी सहायता प्राप्त संस्थानों के भवनों का कुछ हिस्सा अधिग्रहित किया जा रहा है। इसके अलावा वे इन संस्थानों को बोर्ड परीक्षा और गृह परीक्षा आयोजित करने के लिए कमरे और स्थान के रूप में पर्याप्त सुविधाएं कैसे प्रदान करेंगे। न्यायालय ने यह भी स्पष्टीकरण मांगा कि शहर के मध्य में पड़ने वाले शैक्षणिक संस्थानों के खुले स्थानों और मैदानों को इन उद्देश्यों के लिए अधिग्रहित क्यों नहीं किया गया।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि यदि अगली तिथि (17 दिसंबर) को उचित हलफनामा दाखिल नहीं किया जाता है तो दोनों सचिव व्यक्तिगत रूप से न्यायालय के समक्ष उपस्थित होंगे। न्यायालय ने यह आदेश महिला ग्राम इंटर कॉलेज सुबेदारगंज की प्रबंध समिति व अन्य द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया जिसमें माघ मेले के मद्देनजर संस्थान के 8 कमरों व अन्य उपयोगिता सेवाओं को राज्य के सुरक्षा बलों को तैनात करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट द्वारा लिए गए एकपक्षीय निर्णय/आदेश से व्यथित थे।
यह तर्क दिया गया कि यद्यपि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत कार्रवाई की गई थी, लेकिन निजी संस्थानों की संपत्तियों का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता था, क्योंकि शहर क्षेत्र में कई स्कूल व कॉलेज हैं जहां बड़े मैदान खाली पड़े हैं और जिला मजिस्ट्रेट उन स्थानों का अधिग्रहण कर सकते थे।
याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि यद्यपि राजकीय इंटर कॉलेज लगभग शहर क्षेत्र में है और अन्य स्कूल भी माघ मेला क्षेत्र के करीब हैं, लेकिन स्थानों का अधिग्रहण नहीं किया गया है। इस प्रकार उन्होंने भेदभाव की भी दलील दी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से आगे तर्क दिया गया कि राज्य सरकार के अधीन संचालित हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट शिक्षा परिषद ने माघ मेला अवधि के लिए बोर्ड परीक्षा स्थगित नहीं की है तथा इस अवधि के दौरान छात्रों एवं संस्थानों को अपनी पढ़ाई में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया शैक्षणिक संस्थानों के भवनों के अधिग्रहण से न केवल स्टूडेंट्स को बल्कि संस्थानों के प्रबंधन को भी बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने में भारी कठिनाई होगी जब तक कि सरकार बोर्ड परीक्षाओं को किसी अन्य तिथि पर स्थानांतरित करने का निर्णय नहीं ले लेती।
इस प्रकार मामले में जवाब मांगते हुए मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को निर्धारित की गई।
केस टाइटल-प्रबंधन समिति महिला ग्राम इंटर कॉलेज सुबेदारगंज एवं अन्य बनाम यूपी राज्य एवं 4 अन्य