ऑर्केस्ट्रा में काम करने वाली महिला कलाकारों को अक्सर यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, आयोजकों को उनके लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Amir Ahmad
9 Jan 2025 3:29 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को ऑर्केस्ट्रा में काम करने वाली महिला कलाकारों के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया, जिसमें नर्तकियों और गायकों के रूप में काम करने वाली महिला कलाकारों को अक्सर यौन उत्पीड़न और शोषण का सामना करना पड़ता है।
जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने कहा कि सामाजिक धारणाएं कभी-कभी उनके बुनियादी मानवाधिकारों को कमजोर करती हैं। इन कलाकारों को वासना की वस्तु बना देती हैं और उनके प्रति इस तरह का रवैया लैंगिक हिंसा को बढ़ावा देता है। ऐसी महिला कलाकारों की गरिमा को छीन लेता है।
कोर्ट ने कहा कि ये कलाकार भी सम्मान के हकदार हैं। उन्हें सम्मान के साथ जीने का अधिकार है, क्योंकि कलाकारों की गरिमा उनकी कला में निहित है। इसलिए यह आयोजक की जिम्मेदारी है कि महिला कलाकारों के कार्यस्थल और माहौल को सुरक्षित और सम्मानजनक बनाया जाए।
न्यायालय ने टिप्पणी की,
"ऐसा माहौल बनाना सभी का कर्तव्य है, जहां हर कलाकार बिना किसी डर और भय के स्वतंत्र रूप से प्रदर्शन कर सके और अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त कर सके, क्योंकि वे समाज में संस्कृति, रचनात्मकता और अभिव्यक्ति के पथप्रदर्शक हैं।"
पीठ ने ऑर्केस्ट्रा पार्टियों के आयोजक एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए ये टिप्पणियां कीं, जिस पर ऑर्केस्ट्रा की एक सदस्य पीड़िता से छेड़छाड़ करने और उसके बाद उसे बलात्कार करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप है।
BNS की धारा 64, 332(बी), 352, 351(3) के तहत आरोपी-आवेदक को पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था। मामले में जमानत की मांग करते हुए उसने हाईकोर्ट का रुख किया।
न्यायालय के समक्ष उसके वकील ने तर्क दिया कि उसके मुवक्किल को मामले में झूठा फंसाया गया।
शिकायतकर्ता ने आवेदक से 25,000 रुपये उधार लिए थे। फिर भी वह वापस नहीं लौटी और अपनी देनदारियों से बचने के लिए उसने अपना बदला चुकाने के लिए आवेदक के खिलाफ़ FIR दर्ज करा दी।
दूसरी ओर राज्य के लिए एजीए ने तर्क दिया कि आवेदक ऑर्केस्ट्रा पार्टी का आयोजक है, जिसमें पीड़िता एक नर्तकी के रूप में शामिल थी। उसका कृत्य और आचरण जैसा कि पीड़िता ने FIR में और साथ ही धारा 180 और 183 BNSS के तहत अपने बयानों में बताया है, जघन्य प्रकृति का है। इसलिए यह तर्क दिया गया कि आवेदक की जमानत याचिका खारिज की जानी चाहिए।
इस पृष्ठभूमि के खिलाफ यह देखते हुए कि पीड़िता का बयान जमानत आवेदन पर निर्णय लेने के लिए एक प्रारंभिक विचार है और अभियोजन पक्ष के मामले को खराब करने के लिए FIR संस्करण के साथ-साथ पीड़िता के धारा 180 और 183 BNSS के तहत बयानों में कोई विरोधाभास नहीं है, अदालत ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने कहा कि ऑर्केस्ट्रा पार्टी में आयोजक द्वारा डांसर के रूप में पीड़िता के साथ यौन शोषण से जुड़ा मामला समाज में विकृत लैंगिक यौन हिंसा की एक गंभीर याद दिलाता है।
केस टाइटल - मनीष कुमार यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य 2025 लाइव लॉ (एबी) 6