संभल मस्जिद विवाद | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 फरवरी तक ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई, UOI, यूपी सरकार से जवाब मांगा
Amir Ahmad
8 Jan 2025 2:45 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चंदौसी की शाही जामा मस्जिद को हिंदू मंदिर को नष्ट करने के बाद बनाए जाने के दावे वाले मुकदमे में संभल ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर 25 फरवरी तक रोक लगा दी।
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने चंदौसी (संभल) में शाही जामा मस्जिद समिति द्वारा दायर एक दीवानी पुनर्विचार याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें 19 नवंबर को पारित ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।
इसमें एक एडवोकेट आयुक्त को मस्जिद का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद को मंदिर को नष्ट करने के बाद बनाया गया।
एकल जज ने भारत संघ, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, यूपी सरकार और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट से 4 सप्ताह के भीतर जवाब भी मांगा है।
मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी।
ध्यान रहे कि पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर प्रभावी रूप से रोक लगा दी थी, जिसमें निर्देश दिया गया था कि जब तक मस्जिद कमेटी द्वारा सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ दायर याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में सूचीबद्ध नहीं हो जाती, तब तक ट्रायल कोर्ट मामले को आगे नहीं बढ़ाएगा।
आक्षेपित आदेश सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह ने महंत ऋषिराज गिरि सहित आठ वादियों द्वारा दायर मुकदमे पर पारित किया था, जिन्होंने दावा किया था कि विचाराधीन मस्जिद 1526 में वहां मौजूद एक मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई थी।
सर्वेक्षण के कारण 24 नवंबर को हिंसा भड़क उठी, जिसमें चार लोग मारे गए।
हिंदू वादियों के अनुसार विचाराधीन मस्जिद मूल रूप से भगवान विष्णु के अंतिम अवतार कल्कि को समर्पित एक प्राचीन मंदिर (हरि हर मंदिर) का स्थल था। 1526 में मुगल शासक बाबर के आदेश पर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया गया और उसे मस्जिद में बदल दिया गया।
अपने मुकदमे में एडवोकेट हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए वादीगण मस्जिद तक पहुँचने के अधिकार का दावा कर रहे हैं।
लाइव लॉ से बात करते हुए अदालत द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव ने दावा किया कि उन्होंने अदालत के 19 नवंबर के निर्देश के अनुसार पिछले सप्ताह एक सीलबंद लिफाफे में सर्वेक्षण रिपोर्ट दाखिल की है।