इलाहाबाद हाईकोर्ट ने SRN अस्पताल के अधिकारियों को महिला डॉक्टरों के लिए अलग ड्यूटी रूम के निर्माण के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया

Amir Ahmad

21 Sep 2024 9:54 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने SRN अस्पताल के अधिकारियों को महिला डॉक्टरों के लिए अलग ड्यूटी रूम के निर्माण के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल के अधीक्षक-इन-चीफ को उन विभागों में महिला डॉक्टरों के लिए अलग ड्यूटी रूम के निर्माण की योजना के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जहां वे उपलब्ध नहीं हैं।

    स्व-प्रेरित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस मनीष कुमार निगम की खंडपीठ ने कहा कि कई वार्डों के बीच मौजूद ड्यूटी रूम डॉक्टर की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

    उत्तर प्रदेश राज्य के मेडिकल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा दायर हलफनामों पर ध्यान देते हुए।

    स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल प्रयागराज के मुख्य अधीक्षक से अस्पताल में ड्यूटी रूम की उपलब्धता के बारे में पूछे जाने पर न्यायालय ने कहा,

    “अस्पताल में विभिन्न विभागों में पुरुष और महिला ड्यूटी डॉक्टरों के लिए कुल तीस विश्राम कक्ष हैं। यह स्वीकार किया जाता है कि पल्मोनरी विभाग और ENT विभाग में महिला डॉक्टरों के लिए कोई ड्यूटी रूम नहीं है। सर्जरी विभाग में विश्राम कक्ष की मरम्मत की गई और अब यह काम कर रहा है। प्रत्येक विश्राम कक्ष में शौचालय जुड़ा हुआ है।”

    यह देखते हुए कि मौजूदा ड्यूटी रूम की संख्या डॉक्टरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती, न्यायालय ने स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल, प्रयागराज के मुख्य अधीक्षक को महिला डॉक्टरों के लिए अलग से ड्यूटी रूम के निर्माण की योजना के बारे में अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

    इसके अलावा न्यायालय ने कहा कि अस्पताल में सुरक्षा बढ़ाई जा रही है और अस्पताल में आवारा कुत्तों के खतरे को नियंत्रित करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

    मामले की पृष्ठभूमि

    जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की पीठ ने अमर उजाला में छपी समाचार रिपोर्ट के आधार पर स्वतः संज्ञान लिया था, जिसमें प्रयागराज के SRN अस्पताल में चूहों के आतंक को उजागर किया गया। न्यायालय को बताया गया कि अस्पताल में चूहों के आतंक को नियंत्रित करने का काम हाउसकीपिंग एजेंसी को सौंप दिया गया। तदनुसार, न्यायालय ने इस बारे में विस्तृत जानकारी मांगी।

    इसके बाद कई तिथियों पर हलफनामे दाखिल किए गए, जिसमें बताया गया कि क्या कदम उठाए जा रहे हैं और स्थिति में सुधार हुआ है। हालांकि, वार्डों में आवारा कुत्तों का मुद्दा उठा जिस पर न्यायालय ने हलफनामे मांगे।

    इस संबंध में न्यायालय ने कहा,

    "निरीक्षण रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि SRN अस्पताल की पुरानी इमारत के मुख्य चौड़े गलियारे में आवारा कुत्ते पाए गए। इसमें यह भी खुलासा किया गया कि आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए कुछ पशु अवरोधक लगाए गए। हालांकि, वे टूटे हुए पाए गए।

    इसके बाद अपर्याप्त सुरक्षा के मुद्दे को भी न्यायालय के समक्ष उठाया गया। यह बताया गया कि पूरे अस्पताल में केवल 6-7 गार्ड मौजूद थे। उन्हें लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुपर स्पेशियलिटी कॉम्प्लेक्स में तैनात किया गया। कोर्ट ने पाया कि ओपीडी ब्लॉक और अन्य ब्लॉकों के गलियारों में कुत्ते पाए गए। साथ ही अस्पताल के बाहर भी, जहां मेडिकल कचरा फेंका गया।

    कोर्ट ने कहा,

    “निरीक्षण रिपोर्ट में दुखद स्थिति का पता चलता है। शहर की प्रमुख स्वास्थ्य सेवा सुविधा माना जाने वाला परिसर आवारा कुत्तों से मुक्त होना चाहिए, क्योंकि वे विभिन्न प्रकार के संक्रमणों का स्रोत हैं। हालांकि, ऐसा लगता है कि अस्पताल प्रशासन द्वारा अस्पताल परिसर में आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया।”

    कोर्ट ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि अस्पताल में रहने वाले डॉक्टरों और नर्सों के लिए उचित ड्यूटी रूम और शौचालयों की कमी थी।

    तदनुसार, मेडिकल अधीक्षक को अस्पताल में उपलब्ध ड्यूटी रूम और शौचालयों की संख्या का खुलासा करने के साथ-साथ उनकी तस्वीरों के साथ हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया।

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