वकालत है चुनौतीपूर्ण पेशा, जानिए सफल वकील बनने के आवश्यक गुण

Shadab Salim

11 Dec 2019 8:15 AM GMT

  • वकालत है चुनौतीपूर्ण पेशा, जानिए सफल वकील बनने के आवश्यक गुण

    शादाब सलीम

    देशभर में हज़ारोंं लोग प्रतिवर्ष लॉ ग्रेजुएट होकर आते हैंं। अलग अलग राज्यों की अधिवक्ता सूची में शामिल होकर विधि व्यवसाय आरंभ करते हैंं, परन्तु वकालत नितांत चुनौतीपूर्ण पेशा है। इस पेशे में लाइम लाइट के साथ चुनौतियां भी बहुत हैं। यदि इस पेशे में थोड़ी गंभीरता रख ली जाए तो आपका भविष्य स्वर्णिम है। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट बार के एक समागम में कहा था, "वकीलों को कोई लड़की नहीं देना चाहता।"

    पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर के इस बयान में तर्क तो है। समाज में वकीलों की अंधाधुंध भीड़ बढ़ने से इस पेशे की किरकिरी तो हुई है, परंतु फिर भी कुछ मार्ग ऐसे हैं, जिसमे आप इस नोबल पेशे को अपनाकर अपना स्वर्णिम भविष्य गढ़ सकते हैं।

    नोबेल प्रोफेशन

    वकालत सदा से नोबेल पेशा रहा है। ब्रिटेन में भी संपन्न घरों के लोग वकालत किया करते थे। वकीलों के पहने जाने वाले गाउन में पीछे दो पॉकेट हुआ करते थे। वकील जिन लोगो की पैरवी करते थे, वे लोग अपनी आस्था के हिसाब से उन पॉकेट में जो होता था, वह धन डाल देते थे।

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    वकील अपने इस पारिश्रमिक को सहर्ष स्वीकार करते थे। एक अर्थ में वकील का पेशा धनवान शिक्षित लोगों द्वारा अपनाया जाने वाला सेवार्थ पेशा हुआ करता था। कालांतर में इस पेशे के अर्थ बदलते गए और वर्तमान में यह पेशा अपने नितांत अलग परिदृश्य के साथ हमारे सामने है।

    वकालत से लाइम लाइट

    आज यह पेशा लाइम लाइट का ज़रिया भी है। देशभर का कोई ऐसा अखबार नहीं है जो कानून और न्यायलय पर कोई ख़बर न लिखता हो। इस लाइम लाइट से प्रभावित होकर बहुत से लोग इस पेशे में आते हैं लेकिन ऐसा भी देखा गया है कि वे चुनौती झेल नहीं पाते और बहुत जल्द इस पेशे से स्वीच भी कर जाते हैं।

    आज हम उन बिंदुओं पर बात करेंगे, जिनको अभ्यास में लाकर कोई भी लॉ ग्रेजुएट अपनी वकालत चमका सकता है। या इसे कह सकते हैं कि एक सफल वकील बनने के लिए कौन सी खूबियां होनी चाहिए।

    वाकपटुता और बोलने की कला-

    यदि आपमे बोलने की असाधारण स्किल्स हैं तो आप इस पेशे में सफल हो सकते हैं। वाकपटुता के साथ बोलने वालों के लिए यह पेशा सार्थक है। शब्दों को बांधकर और तौलकर कहिये। कोई भी बात तर्क पर और व्यवस्थित होना चाहिए। अपने निजी जीवन में भी अनावश्यक टिप्पणी से बचिए। शब्दों का चयन अच्छा रखिए और लगभग सभी शब्दों को उसके ठीक उच्चारण के साथ कहिये।

    साहित्य और विधि पर अधिक से अधिक पढ़ना-

    पढ़ना वकालत के लिए ऐसा है जैसे शरीर के लिए प्रोटीन। वकील को निरंतर अभ्यास और पढ़ने की आवश्यकता होती है। पढ़ने पर व्यय किये समय को वकील को निवेश समझना चाहिए। पढ़ने से आदमी की तर्क शक्ति का जन्म होता है और नए नए शब्दों को मस्तिष्क कंठस्थ करता है। इन शब्दों का प्रयोग वक़ील न्यायालयों में की जाने वाली बहस में कर सकता है। संसदीय शब्दों पर अधिक बल दिया जाना चाहिए।

    लेखन कला, रेडीमेड फॉर्मेट से बचें

    यदि आप पढ़ने के साथ स्वयं में लेखन कला को विकसित करते हैं तो यह भी सार्थक प्रयोग होगा। वकील न्यायालय में बहस के साथ ही ड्राफ्टिंग में भी करता है। जितनी सार्थक और गूढ़ गहन ड्राफ्टिंग होगी, उतना लाभ अपने वाद में प्राप्त कर सकते हैं।

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    गहन चिंतन के साथ अपना पक्ष रखते हुए लिखी ड्राफ्टिंग पर न्यायधीश भी रुककर विचार करते हैं। पृथक सृजनशीलता के साथ की गई ड्राफ्टिंग रोचक होती है। न्यायधीशगण उसे पढ़ते भी हैं। न्यायधीश जितने आपकी लेखन शैली से प्रभावित होंगे, आपकी बात उतनी शक्ति के साथ बोर्ड पर रखी जाएगी तथा उतनी ही शक्ति आपके वाद को भी मिलेगी। वकीलों को रेडीमेड फॉर्मेट को अपने वादों में प्रयोग करने से बचना चाहिए।

    प्रैक्टिस यहां से शुरू करें

    नए लॉ ग्रेजुएट को इस बात पर अधिक ध्यान देना चाहिए कि उन्हें अपनी वकालत की प्रैक्टिस कहां से शुरू करनी चाहिए। यह उनके लिए सार्थक परामर्श सिद्ध हो सकता है।

    किसी भी विश्वविद्यालय से स्नातक होते ही अपने मूल कस्बे या नगर के न्यायालय से ही वकालत आरंभ करना चाहिए। व्यक्ति जिस नगर कस्बे में जन्म लेता और स्कूली शिक्षा लेता है उस नगर कस्बे में उसके अधिक संर्पक होते हैं और वकालत संपर्कों पर निर्भर होती है। मुख्यतः नातेदार और मित्रगण ही हमारे लिए काम लेकर आते हैं। अंजान और नए शहरों में प्रारम्भ में वकालत करने से बचना चाहिए।

    प्रारंभ में सत्र एवं जिला न्यायालय में वकालत करें-

    जिला एवं सत्र न्यायालय नए नए लॉ में स्नातक होकर वकील हुए व्यक्ति के लिए मां समान है। फर्स्ट क्लास कोर्ट मां के समान सिखाती है। नए लोग लाइम लाइट के लिए बड़े शहरों में स्थापित उच्च न्यायालय और भारत के उच्चतम न्यायालय की ओर रुख करते हैं, परन्तु वे निचली अदालत के काम काज से कोसों दूर होते हैं।

    ऐसे लोग संक्षिप्त विचारण और सत्र विचारण तक मे अंतर नहीं समझ पाते। उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय केवल अपीलीय न्यायायल हैं। वहां केवल विधि के बिंदुओं पर विचार किया जाता है, जबकि निचली अदालत विचारण करती है एवं वाद का संचालन करती है। पहले विचारण और वाद के संचालन की प्रकिया को समझना चाहिए फिर विधि के बिंदु जैसे विषय पर ध्यान देना चाहिए।

    व्यवस्थित रहना-

    जिस न्यायालय में हम काम कर रहे हैं। वहां पूरी तरह व्यवस्थित रहने के प्रयास करने चाहिए। समय से पहले न्यायालय में पहुंचा जाए। साफ सुथरी वेशभूषा रखी जाए और कभी भी वक़ील की वेशभूषा से इतर वेशभूषा नहीं पहनें। न्यायधीश के बोर्ड पर जाते समय बैंड्स का ध्यान रखना चाहिए। कभी भी अपनी जेब पैन और मार्कर से खाली से नहीं रहना चाहिए।

    प्रारंभ में किसी सीनियर वकील के सहायक बनें-

    न्यायालय में सीधे अपने वाद लेकर नहीं जाना चाहिए। कुछ वर्ष सीनियर वकील के साथ सहायक की भूमिका में रहना चाहिए। सीनियर वक़ील का चयन करते समय बड़े प्रसिद्ध और लोकप्रिय वकील के स्थान पर ऐसे वकीलों का चयन करें, जहां आप शांति के साथ कम काम मे काम सीख सकें।

    लाइम लाइट से वशीभूत होकर नए स्नातक ऐसा मार्ग पकड़ते हैं, जहां वे चर्चा में रह सकें पर ऐसा विचार रखना ठीक नहीं है। लाइम लाइट के स्थान पर अपने भविष्य का ध्यान रखें। सीनियर वकील की वकील डायरी को मैंटन करें और समय पर तारीख लें जिससे न्यायायल की प्रक्रिया समझ पाएं।

    अधिक लोगो से मिले और सामाजिक कार्यो में आगे रहें-

    अधिक लोगो से संपर्क साधने के प्रयास करना चाहिए और ऐसे सामाजिक मंचो पर अधिक सक्रिय रहना चाहिए, जहां से आपकी वकील की इमेज लोगो तक पहुंचे। यह सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आप जितने लोगो से संपर्क रखेंगे, उतनी माउथ पब्लिसिटी होगी और उतना ही काम आप तक आएगा।

    छोटे वादों पर ध्यान दें-

    सीखने के उद्देश्य से छोटे वादों पर ध्यान देना चाहिए। प्रारम्भ में कोई व्यवस्थित आदमी अपना वाद किसी नए वकील को नहीं देता है। हर व्यक्ति चाहता है उसके वाद में कोई निषांत अधिवक्ता पैरवी करे, इसलिए छोटे मामले जैसे मारपीट, वसूली, भरण पोषण, कुटुंब न्यायालय के विवाह विच्छेद के मामले, चैक बाउंस इत्यादि पर पर पकड़ बना कर प्रक्रिया को समझने का प्रयास करें। प्रारंभ में आपको निःशुल्क भी काम करना पड़ सकता है।

    धैर्य रखें-

    किसी नए वकील के लिए वकालत की शुरुआत करने वाला ज़माना बेहद चुनौतीपूर्ण रहता है। लंबे समय तक आप संघर्षकाल में रहते हैं। ऐसी अवधि में धैर्य बनाये रखें और जीवन को फ़िज़ूलख़र्ची से दूर रखें। समय के साथ आप भी धन अर्जित करेंगे। इस समय को अपना निवेश समझें।

    इसके अलावा कुछ साधारण बिंदु भी हैं जिन पर विचार किया जाना चाहिए

    अच्छे से लोगों की बात सुनें ,कोई भी व्यक्ति व्यर्थ नहीं कहता। प्रत्येक व्यक्ति कोई न कोई ज्ञान से प्रेरित करके जाता ही है। अच्छे फैसले लें और प्रज्ञा, विवेक इत्यादि का सदैव प्रयोग करते रहें। किसी भी मामले पर अच्छा विश्लेषण करें फिर अपनी बात रखें। अलग अलग मुकदमों की फाइल पढ़ने की आदत डालें।

    इन बिंदुओं पर विचार कर आप सुनहरे भविष्य और भविष्य के बड़े नामी वक़ील के रूप में खुद स्थापित कर सकते हैं।

    लेखक वकील हैंं और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में वकालत करते हैं

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