राजस्थान हाईकोर्ट ने Common Cause List को अलग करने के एकल-न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगाई

Shahadat

22 April 2024 5:42 AM GMT

  • राजस्थान हाईकोर्ट ने Common Cause List को अलग करने के एकल-न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगाई

    एकल न्यायाधीश पीठ द्वारा 145 पेज लंबी 'कॉमन कॉज़ लिस्ट' (Common Cause List) बनाने के लिए रजिस्ट्री को चेतावनी देने के बाद खंडपीठ ने लिस्ट को कॉज़ लिस्ट (i) और कॉज़ लिस्ट (ii) के रूप में अलग करने के पूर्ववर्ती निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी है। एकल न्यायाधीश पीठ द्वारा की गई टिप्पणियों के अनुसार, इन लिस्ट में संबंधित वाद सूचियों में विशिष्ट नोट्स शामिल होने थे, जिसमें उल्लेख किया गया कि क्या यह स्थानापन्न पीठ की नियमित सूची है या अदालत नहीं रखने वाली पीठ की अतिरिक्त कॉज़ लिस्ट है।

    डॉ. जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस मुन्नूरी लक्ष्मण की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि मामले पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है, इसलिए इसे जुलाई 2024 के दूसरे सप्ताह में फिर से अधिसूचित किया जाना चाहिए। अदालत ने बताया कि वह समय-सीमा के कारण इस मामले पर विस्तार से सुनवाई नहीं कर सकती।

    अदालत ने आदेश में कहा,

    "इस बीच, दिनांक 27.03.2024 के आदेश का प्रभाव और संचालन, जहां तक पैराग्राफ 6 में दिए गए निर्देश हैं, पर रोक रहेगी।"

    डिवीजन बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि रजिस्ट्री एकल-न्यायाधीश पीठ द्वारा उल्लिखित विषय वस्तु को चीफ जस्टिस के समक्ष विचार करने के लिए स्वतंत्र है।

    अपीलकर्ता अदालत की ओर से पेश सीनियर वकील ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अकेले ही रोस्टर के मास्टर हैं। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायिक नियम 1952 के नियम 73 और राजस्थान हाईकोर्ट अध्यादेश, 1949 के पैराग्राफ 44 के अनुसार, कॉज़ लिस्ट की तैयारी और अन्य प्रशासनिक मुद्दों को चीफ जस्टिस द्वारा दिए गए निर्देशों के आधार पर रजिस्ट्री द्वारा निपटाया जाता है।

    अपीलकर्ता के वकील ने आगे कहा,

    स्थानापन्न पीठों के लिए कॉज़ लिस्ट को सूचीबद्ध करने और नामित करने और पीठ के लिए एडिशनल कॉज़ लिस्ट को नामित करने के मामले ऐसे मुद्दे हैं, जो सीधे उपरोक्त कानूनों के अंतर्गत आते हैं, जिनमें चीफ जस्टिस का अंतिम निर्णय होता है।

    वकील ने राजस्थान राज्य बनाम प्रकाश चंद 1998(1) एससीसी 1 मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी भरोसा जताया और कहा कि यह देखना चीफ जस्टिस का विशेषाधिकार है कि एक जज को किन मामलों की सुनवाई करनी है और कौन से जज डिवीजन बेंच का गठन करेंगे और वे बेंच क्या काम करेंगी।

    केस टाइटल: राजस्थान हाईकोर्ट, रजिस्ट्रार जनरल बनाम राजस्थान राज्य और अन्य के माध्यम से।

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