पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 2015 POCSO मामले में पत्रकार दीपक चौरसिया को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी

Shahadat

11 April 2024 3:35 AM GMT

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 2015 POCSO मामले में पत्रकार दीपक चौरसिया को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पत्रकार दीपक चौरसिया को 2015 के POCSO मामले में गुरुग्राम कोर्ट में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी।

    दीपक चौरसिया के साथ-साथ अन्य पत्रकारों पर 10 वर्षीय लड़की और उसके परिवार के कथित रूप से 'मॉर्फ्ड, एडिटेड और अश्लील' वीडियो प्रसारित करने और उसे स्वयंभू संत आसाराम बापू के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले से जोड़ने के लिए मामला दर्ज किया गया था।

    जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने चौरसिया को कुछ शर्तों के अधीन व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी।

    2023 में हरियाणा के गुरुग्राम की विशेष अदालत ने 10 साल की लड़की और उसके परिवार के कथित रूप से स्वयंभू बाबा आसाराम बापू के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में 'मॉर्फ्ड, एडिटेड और अश्लील' वीडियो प्रसारित करने और उसे इससे जोड़ने के लिए एंकर दीपक चौरसिया, चित्रा त्रिपाठी और अजीत अंजुम सहित 8 पत्रकारों के खिलाफ आरोप तय किए।

    सभी 8 मीडिया पेशेवरों अजीत अंजुम, एंकर एमडी सोहेल और रिपोर्टर सुनील दत्त ने न्यूज 24 के साथ काम किया, प्रधान संपादक चौरसिया, एंकर त्रिपाठी और राशिद हाशमी, जोधपुर के रिपोर्टर ललित सिंह बडगुर्जर और निर्माता अभिनव राज ने इंडिया न्यूज के साथ काम किया। उक्त लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी, 469 और 471, आईटी एक्ट की धारा 67बी और 67 और POCSO Act की धारा 23 और 13C के तहत आरोप लगाया गया।

    सभी पत्रकारों पर आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया, जिसके तहत लगभग 10 साल की पीड़ित नाबालिग लड़की और उसके परिवार का फेक वीडियो तैयार करने के लिए सहमति व्यक्त की गई। इसमें पीड़िता और उसके परिवार को अशोभनीय तरीके से दिखाया गया और समाचार चैनलों पर प्रसारित किया गया, जिससे पीड़िता और उसके परिवार की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ।

    चौरसिया का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि उनके खिलाफ जुलाई 2023 में आरोप तय किए गए और मामले की सुनवाई कछुआ गति से चल रही है, क्योंकि अभियोजन पक्ष के 15 गवाहों में से केवल 5 से अब तक पूछताछ की गई और प्रत्येक तारीख पर सुनवाई में भाग लेने की आवश्यकता होगी। याचिकाकर्ता को बड़ी असुविधा और कठिनाई होगी और इसका असर उसकी आजीविका पर भी पड़ेगा।

    दूसरी ओर, शिकायतकर्ता के वकील ने याचिकाकर्ता द्वारा की गई प्रार्थना का इस आधार पर विरोध किया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों को ध्यान में रखते हुए वह व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट का हकदार नहीं है।

    दलील सुनने के बाद कोर्ट ने कहा,

    "यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ 14.07.2023 को आरोप तय किए गए और 15 में से केवल 5 पीडब्ल्यू की अब तक जांच की गई।"

    एस.वी. मुजुमदार बनाम गुजरात राज्य उर्वरक कंपनी लिमिटेड 2005(2) आरसीआर (आपराधिक) 860 में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच पर भरोसा रखा गया, जिसमें जस्टिस अरिजीत पसायत के माध्यम से बोलते हुए यह कानून निर्धारित किया कि छूट के मुद्दे पर निर्णय लेते समय न्यायालय को इस बात पर विचार करना होगा कि क्या कोई उपयोगी उद्देश्य है। अभियुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति की आवश्यकता के आधार पर कार्य पूरा किया जाएगा या क्या उसकी अनुपस्थिति के कारण मुकदमे की प्रगति में बाधा उत्पन्न होने की संभावना है।

    उपरोक्त के आलोक में न्यायालय ने निम्नलिखित शर्तों के अधीन ट्रायल कोर्ट के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी:

    (i) याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व उनके वकील के माध्यम से किया जाएगा।

    (ii) कार्यवाही में देरी/रोक नहीं लगाएगा।

    (iii) अपनी पहचान पर विवाद नहीं करेंगे।

    (iv) यदि अभियोजन साक्ष्य उनकी अनुपस्थिति में लेकिन उनके वकील की उपस्थिति में दर्ज किया जाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।

    (v) आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होगा।

    (vi) कोई अन्य शर्त, जो निचली अदालत लगा सकती है।

    केस टाइटल: दीपक चौरसिया बनाम हरियाणा राज्य

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