केवल इस आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता दूसरी पत्नी से पैदा हुआ नाजायज बच्चा है: मद्रास हाइकोर्ट ने दोहराया

Amir Ahmad

4 April 2024 8:23 AM GMT

  • केवल इस आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता दूसरी पत्नी से पैदा हुआ नाजायज बच्चा है: मद्रास हाइकोर्ट ने दोहराया

    मद्रास हाइकोर्ट की जस्टिस आरएन मंजुला की पीठ ने एम. अनंथा बाबू बनाम जिला कलेक्टर एवं अन्य के मामले में रिट याचिका पर निर्णय लेते हुए दोहराया कि केवल इस आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता कि बच्चा मृतक कर्मचारी की दूसरी पत्नी से है।

    तथ्यों की पृष्ठभूमि

    एम. अनंथा बाबू (याचिकाकर्ता) के पिता ग्राम सहायक के रूप में कार्यरत थे और सेवा में रहते हुए 2007 में उनकी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता ने 2008 में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। हालांकि 2021 में जिला कलेक्टर (प्रतिवादी) ने याचिकाकर्ता का आवेदन खारिज करते हुए आदेश (आक्षेपित आदेश) पारित किया, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता मृतक कर्मचारी का नाजायज बेटा है, जो उसकी पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी पत्नी से पैदा हुआ।

    इस आदेश से व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने वर्तमान रिट याचिका दायर की। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत शून्य विवाह के माध्यम से पैदा हुए बच्चे को भी वैध संतान माना जाना चाहिए। इसके अलावा, तमिलनाडु पेंशन नियम 1978 के तहत सौतेले बेटों नाजायज पत्नी से पैदा हुए दत्तक पुत्रों सहित बेटों को मृतक सरकारी कर्मचारी की मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी पाने का अधिकार है। इसलिए अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में एक अलग मानदंड नहीं अपनाया जा सकता।

    दूसरी ओर प्रतिवादी ने आरोपित आदेश में कहा कि श्रम और रोजगार विभाग के दिनांक 16.04.2002 के सरकारी पत्र नंबर 34 के अनुसार, अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे पारिवारिक पेंशन और मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ के हकदार हैं, लेकिन अनुकंपा नियुक्ति के हकदार नहीं हैं।

    न्यायालय के निष्कर्ष

    न्यायालय ने देखा कि अमान्य विवाह से पैदा हुए वैध बच्चों को कानून द्वारा ही मान्यता दी गई। न्यायालय ने भारत संघ और अन्य बनाम वी. के. त्रिपाठी के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी कर्मचारी की दूसरी पत्नी के बच्चे को केवल इसी आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।

    न्यायालय ने आगे मुकेश कुमार और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (UOI) और अन्य के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा,

    “अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मृतक कर्मचारी के परिवार में अभाव और दरिद्रता को रोकना है। एक बार जब हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 16 में विवाह से पैदा हुए बच्चे को वैध माना जाता है तो अनुच्छेद 14 के अनुरूप राज्य के लिए ऐसे बच्चे को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ लेने से वंचित करना खुला नहीं होगा।”

    उपर्युक्त टिप्पणियों के साथ अदालत ने याचिका स्वीकार की और प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता के मामले पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल- एम. अनंत बाबू बनाम जिला कलेक्टर और अन्य।

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