दिल्ली हाइकोर्ट ने पार्टी की संपत्तियों की जांच के लिए लोकपाल के आदेश के खिलाफ दायर JMM की याचिका पर नोटिस जारी किया

Amir Ahmad

23 April 2024 10:17 AM GMT

  • दिल्ली हाइकोर्ट ने पार्टी की संपत्तियों की जांच के लिए लोकपाल के आदेश के खिलाफ दायर JMM की याचिका पर नोटिस जारी किया

    दिल्ली हाइकोर्ट ने मंगलवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) द्वारा भारत के लोकपाल द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को पार्टी के नाम पर दो संपत्तियों की जांच करने का निर्देश दिया गया।

    जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने आदेश दिया कि भारत के लोकपाल द्वारा मामले में अगली सुनवाई की तारीख 10 मई तक कोई और कदम नहीं उठाया जाएगा।

    JMM ने 04 मार्च को पारित लोकपाल के आदेश को चुनौती दी, जिसके तहत CBI को यह जांच करने का निर्देश दिया गया कि दोनों संपत्तियां लोक सेवक की हैं या राजनीतिक दल की है।

    यह आदेश BJP सांसद निशिकांत दुबे द्वारा राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन के खिलाफ दायर की गई शिकायत पर पारित किया गया। लोकपाल ने CBI को सोरेन से जुड़ी कथित बेनामी संपत्तियों की छह महीने के भीतर जांच करने का निर्देश दिया।

    सोरेन की ओर से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि विचाराधीन दोनों संपत्तियां सोरेन की नहीं बल्कि JMM की हैं।

    बताया गया कि लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत विवादित आदेश भारत के लोकपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

    यह तर्क दिया गया कि कानून के तहत जांच केवल एक व्यक्ति के खिलाफ शुरू की जा सकती है, न कि किसी राजनीतिक दल के खिलाफ है।

    सिब्बल ने कहा कि जब CBI अपनी रिपोर्ट में इस निष्कर्ष पर पहुंच गई है कि संपत्तियां किसी राजनीतिक दल की हैं तो विवादित आदेश अधिनियम के दायरे से बाहर हो जाता है।

    याचिका में कहा गया कि विवादित आदेश कानून की दृष्टि से गलत है और अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसमें कहा गया कि यह आदेश झामुमो की पीठ पीछे पारित किया गया, जो भारत के लोकपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

    5 अगस्त, 2020 को BJP के निशिकांत दुबे ने भारत के लोकपाल के समक्ष शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि सोरेन ने भ्रष्ट तरीकों से भारी संपत्ति अर्जित की है। लोकपाल के समक्ष कार्यवाही पर सितंबर 2022 में हाइकोर्ट ने रोक लगा दी।

    इस साल की शुरुआत में सिंगल जज ने सोरेन के खिलाफ भारत के लोकपाल द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से इनकार किया था। एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ उनकी अपील को खंडपीठ ने खारिज कर दिया था।

    केस टाइटल- झारखंड मुक्ति मोर्चा बनाम निशिकांत दुबे

    Next Story