'पर्सनल लिबर्टी' : सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 498ए के आरोपी को विदेश यात्रा की अनुमति दी

LiveLaw News Network

16 Jan 2022 6:07 AM GMT

  • पर्सनल लिबर्टी : सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 498ए के आरोपी को विदेश यात्रा की अनुमति दी

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विदेश यात्रा करने के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार से केवल एक व्यक्ति को इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसे उसके भाई की पत्नी द्वारा उसके भाई और परिवार के खिलाफ दायर 498A शिकायत में एक आरोपी बनाया गया है, खासकर जब आरोप उसके खिलाफ आपराधिक अपराध का खुलासा न करते हों।

    इस मामले में, शिकायतकर्ता ने उसके पति और ससुराल वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 323, 34, 406, 420, 498A और धारा 506 के तहत एफआईआर दर्ज करवाई थी। शिकायतकर्ता के देवर (जो टेक्सास, संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्यरत है) को आरोपी बनाया गया है।

    सुप्रीम कोर्ट पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रहा था। हाईकोर्ट ने संयुक्त राज्य अमेरिका में वापस यात्रा करने की अनुमति के लिए दायर आवेदन खारिज कर दिया था।

    अदालत ने शिकायत की जांच करते हुए कहा कि अपीलकर्ता के खिलाफ अस्पष्ट आरोप के अलावा कुछ भी विशिष्ट नहीं है कि अपीलकर्ता और उसकी मां यानी शिकायतकर्ता की सास ने उसके गहने रखे।

    अपील की अनुमति देते हुए अदालत ने सीजेएम द्वारा 'कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ने' की शर्त को हटा दिया।

    पीठ ने पाया कि अपीलकर्ता के खिलाफ शिकायत में आरोप प्रथम दृष्टया आईपीसी की धारा 498 ए के तहत किसी भी अपराध का खुलासा नहीं होता, जो क्रूरता का संकेत देता हो।

    पीठ ने पाया कि इस आधार पर कि शिकायतकर्ता महिला का पति देश छोड़ सकता है, अपीलकर्ता को विदेश जाने से और अपना काम करने से नहीं रोका जा सकता जो, पिछले 9-10 साल से विदेश में एक कंपनी में काम कर रहा है।

    खंडपीठ के अनुसार हाईकोर्ट ने भी अपीलकर्ता के खिलाफ आरोपों पर विचार नहीं किया और शिकायतकर्ता के प्रति अपीलकर्ता की देयता और अपीलकर्ता के खिलाफ कोई विशिष्ट आरोप के संबंध में कोई प्रथम दृष्टया निष्कर्ष भी नहीं है।

    केस का नाम: दीपक शर्मा बनाम हरियाणा राज्य

    प्रशस्ति पत्र: 2022 लाइव लॉ (एससी) 52

    केस नं.| दिनांक: 2022 का सीआरए 83 | 12 जनवरी 2022

    कोरम: जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी

    वकील: अपीलकर्ता के लिए अधिवक्ता मनु मृदुल, प्रतिवादी के लिए एओआर डॉ. मोनिका गुसाईं

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