दोषी का प्रतिनिधित्व ना होने पर हाई कोर्ट मेरिट के आधार पर दोषसिद्धी के खिलाफ अपील नहीं निपटा सकता : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

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31 July 2019 7:27 AM GMT

  • दोषी का प्रतिनिधित्व ना होने पर हाई कोर्ट मेरिट के आधार पर दोषसिद्धी के खिलाफ अपील नहीं निपटा सकता : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि किसी अभियुक्त द्वारा दोषसिद्धी के खिलाफ दायर अपील को अपीलकर्ता या उसके वकील की सुनवाई के बाद ही मेरिट के आधार पर निपटाया जा सकता है।

    "मामले में दोषी का प्रतिनिधित्व नहीं तो मेरिट पर फैसला भी नहीं"
    न्यायमूर्ति आर. बनुमथी और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने कहा कि जब अपीलकर्ता-दोषी के लिए कोई प्रतिनिधित्व ना हो तो उच्च न्यायालय को चाहिए कि वह मामले को मेरिट के आधार पर ना निपटाए।

    अदालत द्वारा सुनाया गया हाल का ऐसा ही एक निर्णय
    हाल ही में इसी पीठ ने एक अन्य मामले में इस आधार पर एक उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया था कि अभियुक्त को सुनवाई का कोई अवसर दिए बिना या उसकी उपस्थिति ना होने पर उसकी ओर से इस मामले पर बहस करने के लिए एक एमिकस क्यूरी की नियुक्ति के बिना बरी नहीं करना चाहिए। इसी तर्ज पर शंकर बनाम महाराष्ट्र राज्य में पीठ ने ये अवलोकन किया।

    "जहां अपीलकर्ता के लिए सुनवाई की तारीख पर वकील अनुपस्थित है तो न्यायालय या तो एक एमिकस क्यूरी की नियुक्ति करेगा और फिर अपील का फैसला करेगा। एक बार सजा के खिलाफ अपील स्वीकार किए जाने के बाद यह अपीलीय अदालत का कर्तव्य है कि मेरिट पर मामले को सुनने और फिर अपील का निपटान करने के लिए वह या तो एमिकस क्यूरी नियुक्त करे या कानूनी सेवा प्राधिकरण के माध्यम से एक वकील को नामित करे। जब ​​अपीलकर्ता का वकील द्वारा प्रतिनिधित्व नहीं किया गया था तो हमारे विचार में, उच्च न्यायालय को इस मामले में मेरिट पर फैसला नहीं करना चाहिए था और ये आदेश रद्द करने लायक है। इस मामले को उच्च न्यायालय में वापस भेजा जा रहा है।"

    अपील को उच्च न्यायालय में वापस भेजते हुए पीठ ने यह कहा कि यदि अपीलकर्ता का अभी भी प्रतिनिधित्व नहीं किया जाता है तो उच्च न्यायालय कानूनी सेवा प्राधिकरण के माध्यम से अपीलकर्ता के लिए एक वकील को नामित कर सकता है और मामले को आगे बढ़ा सकता है।


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