क्या सबूत की माँग को लाक्षणिक आधार पर साबित किया जा सकता है? इस प्रश्न पर निर्णय की ज़िम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच को सौंपी

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9 March 2019 11:15 AM GMT

  • क्या सबूत की माँग को लाक्षणिक आधार पर साबित किया जा सकता है? इस प्रश्न पर निर्णय की ज़िम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच को सौंपी

    इस प्रश्न को कि घूस की माँग का प्रत्यक्ष या परोक्ष सबूत नहीं होने की स्थिति में क्या किसी व्यक्ति को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की धारा 7 और 13(2) के तहत लाक्षणिक तौर पर दोषी माना जा सकता है कि नहीं, इस सवाल पर निर्णय के लिए इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी पीठ को सौंप दिया है।

    न्यायमूर्ति आर बनुमती और आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने P. Satyanarayana Murthy v. District Inspector of Police, State of Andhra Pradesh मामले में दिए गए फ़ैसले को लेकर अपना संशय ज़ाहिर किया।

    इस तरह, पीठ ने नीरज दत्ता बनाम राज्य मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की धारा 13(1) और 13(2) के तहत दायर अपील पर सुनवाई के दौरान यह बात कही।

    पीठ के समक्ष दलील दी गई कि अगर आरोपी के ख़िलाफ़ घूस की माँग करने का सबूत नहीं है तो सिर्फ़ घूस के पैसे प्राप्त करने का सबूत आरोपी को घूस लेने का दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है। दलील यह दी गई कि जब शिकायतकर्ता की मौत हो गई, घूस की माँग का प्राथमिक सबूत नहीं था और जब अभियोजन घूस की माँग के आरोप को इस प्राथमिक सबूत के द्वारा साबित नहीं कर पाया, तो इस आधार पर आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

    सत्यनारायण मूर्ति के मामले में आए फ़ैसले में यह कहा गया कि आरोपी की मौत के कारण अभियोजन का घूस की ग़ैरक़ानूनी माँग की बात को सिद्ध नहीं कर पाना अभियोजन पक्ष के लिए बहुत ही घातक है और आरोपी के पास से पैसे की बरामदगी के आधार पर उसको दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

    दूसरी ओर, राज्य के वक़ील किरण सोरी ने सुप्रीम कोर्ट के कई सारे मामलों में आए फ़ैसलों का ज़िक्र किया जिसमें आरोपी को इसके बावजूद कि उसके ख़िलाफ़ शिकायत के सबूत या तो शिकायतकर्ता के मारे जाने या उसके मुकर जाने के कारण नहीं थे, उसे दोषी ठहराया गया है। उन्होंने कहा कि सत्यनारायण मामले में कोर्ट ने फ़ैसले की लाइन को नहीं देखा और ना ही यह कि इस अदालत ने इस बारे में किस तरह का विचार व्यक्त किया है कि घूस की माँग को प्रत्यक्ष या लाक्षणिक तरीक़े से अन्य सबूतों के द्वारा सिद्ध किया जा सकता है।

    पीठ ने कहा कि "माँग के बारे में सबूत कम से कम तीन स्थितियों में उपलब्ध नहीं हो सकते हैं:- (i) अगर शिकायतकर्ता की मौत हो चुकी है और उससे पूछताछ नहीं की जा सकती; (ii) शिकायतकर्ता मुकर जाता है; और (iii) किसी भी कारण से शिकायतकर्ता से पूछताछ नहीं हो सकती। घूस की माँग के सबूत उपरोक्त किसी भी स्थिति में नहीं प्राप्त हो सकते पर 12 पंच के गवाहों से घूस लेने को Phenolphthalein Test से साबित किया गया और अधिनियम कि धारा 20 के तहत अनुमान से लाक्षणिक आधार पर माँग को साबित करने की अनुमति है।"

    पीठ ने इसके बाद इस मामले को एक बड़ी पीठ को सौंप दिया।


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