लोन का पैसा बताकर भेजा गया डिमांड नोटिस नहीं है अवैध,अगर यह राशि है बाउंस हुए चेक की राशि के बराबर-सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

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25 April 2019 1:07 PM GMT

  • लोन का पैसा बताकर भेजा गया डिमांड नोटिस नहीं है अवैध,अगर यह राशि है बाउंस हुए चेक की राशि के बराबर-सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत लोन का पैसा बताकर भेजा गया डिमांड नोटिस अवैध नहीं है,अगर डिमांड नोटिस की राशि बाउंस हुए चेक के बराबर है।

    इस मामले में आरोपी ने शिकायतकर्ता से पचास हजार रुपए उधार लिए थे,जिसके बदले उसने शिकायतकर्ता को दो चेक जारी किए थे,जो बाउंस हो गए। इस मामले में दो लीगल नोटिस भेजे गए और उसके बाद दो शिकायतें दायर कर दी गई।

    निचली अदालत ने माना कि दोनों नोटिस दोषपूर्ण है क्योंकि नोटिस में चेक की राशि की बजाय लोन की राशि लिख दी गई।

    हालांकि इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा था कि लोन एमाउंट यानि लोन की राशि शब्द का प्रयोग नोटिस में नहीं किया जाना चाहिए था। आरोपी को दोषी करार देते हुए माना था िकवह मांग असल में चेक की राशि के लिए थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि-सिर्फ दो नोटिस में लोन एमाउंट यानि लोन की राशि का प्रयोग किया गया है,इसका मतलब यह नहीं है कि लोन की राशि के लिए किया जाने वाला दावा दोगुना हो गया है। कोई भी नोटिस को इस तरह नहीं समझ सकता है। यह कहना गलत व अकारण होगा कि दोनों नोटिस में लोन एमाउंट का शब्द का प्रयोग किया गया है,इसलिए शिकायतकर्ता अपने द्वारा दी गई उधार को दोगुना वसूलना चाहता है।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आरोपी ने एनआई एक्ट की धारा 138 के क्लाज (बी) को आधार बनाते हुए कहा कि नोटिस के जरिए सिर्फ चेक की राशि मांगी जानी चाहिए थी,न कि लोन की राशि। उसने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत सिर्फ चेक की राशि के लिए मांग की जा सकती है,न कि किसी अन्य राशि के लिए,जो चेक की राशि से ज्यादा हो। आरोपी के अनुसार शिकायतकर्ता सिर्फ दोनों मामलों में 25-25 हजार रुपए मांग सकता था।

    जस्टिस एल.नागेश्वर राॅव व जस्टिस एम.आर शाह की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जिन केस का हवाला दिया गया है,वह इस केस पर लागू नहीं होते है। पीठ ने कहा कि-

    इस तथ्य पर कोई विवाद नहीं है कि एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत सिर्फ चेक की राशि के लिए नोटिस जारी किया जा सकता है और अन्य किसी ऐसी राशि के लिए नोटिस नहीं भेजा जा सकता है,जो चेक की राशि से ज्यादा हो। जिन सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया गया है,उनमें धारा 138 के तहत जो नोटिस लोन की राशि कहते हुए जारी किए गए थे,वह राशि असल में चेक की राशि से कहीं ज्यादा थी। परंतु इस मामले में लोन की राशि व चेक की राशि बराबर है,जो कि पचास हजार रुपए है।


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