TTZ में निर्माण और उद्योगों पर प्रतिबंध के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने वापस लिया, पर्यावरण मंज़ूरी होगी ज़रूरी

LiveLaw News Network

7 Dec 2019 2:27 AM GMT

  • TTZ में निर्माण और उद्योगों पर प्रतिबंध के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने वापस लिया, पर्यावरण मंज़ूरी होगी ज़रूरी

    सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रेपिज्यम जोन ( TTZ ) में निर्माण, औद्योगिक गतिविधियों व पेड़ काटने पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश को वापस ले लेते हुए इनके लिए शर्तों के साथ रास्ता साफ कर दिया है।

    दरअसल सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल के अंतरिम आदेश की वजह से TTZ में कई ऐसी इकाइयों का काम लटका पड़ा था जो प्रदूषणरहित हैं और बुनियादी सुविधाओं का काम भी रुका हुआ था।

    मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ ने शुक्रवार को 22 मार्च 2018 के अपने आदेश में बदलाव करते हुए ऐसी औद्योगिक इकाइयों को इजाजत दे दी है जो प्रदूषण नहीं फैलाती हो। पीठ ने शर्त भी लगाई कि वे नियमों के अनुरूप हो व केंद्रीय अधिकारप्राप्त कमेटी से पर्यावरण संबंधी अनुमति मिली हो।

    पीठ ने कहा कि नागरिकों का मूलभूत सुविधाओं के मौलिक अधिकार से महरूम नहीं रखा जा सकता। पीठ ने कहा है कि जब तक विजन डॉक्यूमेंट पर अंतिम निर्णय नहीं ले लिया जाता तब तक यह प्रतिबंध जारी रहेगा। हालांकि भारी उद्योगों पर यह प्रतिबंध जारी रहेगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने ये कदम उत्तर प्रदेश सरकार की उस अर्जी पर उठाया है जिसमें अनुरोध किया गया था कि 22 मार्च 2018 के उस आदेश को वापस ले लिया जाए जिसमें TTZ में निर्माण, औद्योगिक गतिविधियों व पेड़ काटने पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।

    सरकार का कहना था कि यह प्रतिबंध ताजमहल के सरंक्षण को लेकर विजन डॉक्यूमेंट तैयार होने तक के लिए

    था। सरकार का कहना था कि विजन डॉक्यूमेंट अब कोर्ट के सामने रखा जा चुका है जिसे 6 महीने का समय भी बीत चुका है।

    ऐसे में मार्च 2018 के आदेश में संशोधन किया जाना चाहिए।

    सरकार का कहना था कि अंतरिम आदेश के कारण TTZ में सारे कार्य रुके पड़े हैं।

    कई लंबित परियोजनाओं को लेकर वह निर्णय नहीं ले पा रही है। इस जोन में कई ऐसी इकाइयों का काम लटका पड़ा है जो प्रदूषणरहित हैं। आईटी इंडस्ट्री, चमड़े की सिलाई करने वाली इकाइयां, होटल, एसटीपी, बायो डायवरसिटी ट्रीटमेंट आदि इकाइयां भी रुकी पड़ी है। लिहाजा सरकार दुविधा में है। सरकार का कहना था कि लोगों की आर्थिक व सामाजिक जरूरतों के मद्देनजर मार्च के आदेश को स्पष्ट करना जरूरी है।

    दरअसल सुप्रीम कोर्ट ताजमहल के संरक्षण को लेकर पर्यावरणविद् एमसी मेहता की याचिका पर सुनवाई कर रहा है और इस संबंध में दो दशकों से विभिन्न आदेश भी जारी कर चुका है।

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