मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम मामला : सुप्रीम कोर्ट ने यौन शौषण पीड़िता 8 बच्चियों को वापस घरवालों को सौंपने के आदेश दिए

LiveLaw News Network

12 Sep 2019 7:03 AM GMT

  • मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम मामला : सुप्रीम कोर्ट ने यौन शौषण पीड़िता 8 बच्चियों को वापस घरवालों को सौंपने के आदेश दिए

    मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम मामले में न्यायमूर्ति एन वी रमना की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने पीड़ित लड़कियों में से 8 को उनके माता-पिता को सौंपने के आदेश दिए हैं।

    पीठ ने बिहार सरकार को पीड़ित लड़कियों को कानून के मुताबिक मुआवजा देने के लिए योजना बनाकर कोर्ट में दाखिल करने को कहा है। पीठ ने राज्य सरकार को इन 8 लड़कियों की मेडिकल, पढ़ाई और वित्तीय जरूरतों का ध्यान रखने के निर्देश भी दिए हैं।

    TISS ने सौंपी थी रिपोर्ट

    दरअसल कुल 44 लड़कियों में से 28 के बारे में टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। रिपोर्ट के मुताबिक 20 लड़कियों में से कुछ तो सदमे में हैं या फिर उनके घरवाले उनको अपनाने में असमर्थ हैं। कुछ के घरवालों की तलाश जारी है।

    दरअसल बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ( TISS) के फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट कोशिश की ओर से सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई थी। TISS की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि कुछ बच्चियों के घर का पता चल गया है और उनके मां-पिता उन्हें वापस लेने को तैयार हैं। एक मामले में बच्ची ने अपने घर का पता बताया है लेकिन उस पते पर घरवाले नहीं मिले हैं। बच्ची ने घर की लोकेशन बताई है। पीठ ने कहा था कि इस संबंध में वो गुरुवार को आदेश जारी करेंगे।

    इससे पहले 18 जुलाई को पीठ ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ( TISS ) के फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट कोशिश को शेल्टर होम की पीड़िता बच्चियों से बातचीत करने की अनुमति दे दी थी ताकि उनका पुनर्वास किया जा सके। पीठ ने (TISS ) से चार सप्ताह के भीतर पीड़ितों के पुनर्वास की योजना दायर करने को कहा था। इसके अलावा पीठ ने कहा था कि पीड़ितों को तब तक सरकारी देखभाल से मुक्त नहीं किया जा सकता जब तक पुनर्वास योजना लागू नहीं होती।

    इस बीच केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहीं ASG पिंकी आनंद ने पीठ को बताया था कि सरकार को राष्ट्रीय बाल संरक्षण नीति को अंतिम रूप देने के लिए 4 से 6 महीने की आवश्यकता है और उसे हितधारकों से इसकी मसौदा नीति के लिए 250 से अधिक सुझाव मिले हैं। TISS की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा था कि आदर्श स्थिति यह होगी कि लड़कियां अपने परिवार के साथ ही रहें।इसमें मुख्य कार्य पीड़ितों की भलाई पर ध्यान देना है। इन बच्चों को अब बहुत कमजोर स्थिति में है। याचिकाकर्ता सम्पूर्णा बेहूरा के लिए वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का पेश हुए थे जबकि वकील अपर्णा भट्ट मामले में अमिक्स क्यूरी के रूप में पेश हुईं थीं।

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