POCSO पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट पर भरोसा नहीं किया जा सकता; सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बरी किया

Brij Nandan

19 July 2023 7:44 AM GMT

  • POCSO पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट पर भरोसा नहीं किया जा सकता; सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बरी किया

    POCSO Case- सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पॉक्सो से जुड़ा एक केस आया। कोर्ट ने आरोपी को बरी करने का आदेश दिया और कहा- POCSO मामलों में पीड़िता की उम्र निर्धारित करने के लिए स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट और एडमिशन रजिस्टर पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।

    जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा कि जब भी किसी पॉक्सो मामले में पीड़िता की उम्र को लेकर विवाद हो, तो ऐसे में कोर्ट को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की दारा 94 में बताए गए कदमों पर विचार करना चाहिए।

    आगे कहा,

    “जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 94 (2) (iii) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि स्कूल के बर्थ सर्टिफिकेट या संबंधित परीक्षा बोर्ड के सर्टिफिकेट को सबसे पहले प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसके बाद नगर पंचायत की ओर से जारी बर्थ सर्टिफिकेट को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। अगर ये भी उपलब्ध नहीं है तो आयु निर्धारित करने के लिए "ऑसिफिकेशन टेस्ट" किया जाना चाहिए।“

    सुप्रीम कोर्ट POCSO एक्ट के तहत दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई कर रहा था। दोषी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट पर भरोसा किया। जबकि डॉक्टक ने कहा था कि पीड़ित लड़की की उम्र 18 वर्ष से अधिक और 20 वर्ष से कम होगी। हाईकोर्ट ने भी अपील खारिज कर दी थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले से असहमति जताई। और कहा- पीड़िता की उम्र निर्धारित करने के लिए स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट और एडमिशन रजिस्टर पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। "ऑसिफिकेशन टेस्ट” से लड़की की उम्र का पता चल जाएगा।

    आगे कहा- इस मामले में अभियोजन पक्ष ये भी साबित नहीं कर पाया है कि आरोपी ने लड़की के साथ कोई जोर जबरदस्ती की या पेनिट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट हुआ।

    सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दिए अपने बयान में पीड़िता ने कहा कि वो दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे। लड़की ने यहां तक की जहर खा लिया था। वो लड़के के साथ रहना चाहती थी।

    कोर्ट ने कहा- लड़की के बयान से पता चलता है कि उसका यौन उत्पीड़न नहीं हुआ था। इसलिए इस मामले में पॉक्सो एक्ट नहीं लागू होगा।

    इसलिए, आरोपी की अपील स्वीकार कर ली गई और दोषसिद्धि को रद्द कर दिया गया।

    केस

    पी युवाप्रकाश बनाम राज्य | 2023 लाइव लॉ (एससी) 538 | 2023 आईएनएससी 626

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