कांग्रेस नेता जयराम रमेश की सभी के लिए भोजन सुरक्षा की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

LiveLaw News Network

5 May 2020 10:41 AM GMT

  • कांग्रेस नेता जयराम रमेश की सभी के लिए भोजन सुरक्षा की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को COVID-19 महामारी के दौरान सभी के लिए खाद्य सुरक्षा के सार्वभौमिक कवरेज को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और निर्देश दिया कि संबंधित अधिकारियों के समक्ष इस मुद्दे को उठाया जाना चाहिए।

    कांग्रेस नेता ने अदालत से निर्देश देने की मांग की थी कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीए) में राशन की आपूर्ति के लिए राशन कार्ड की आवश्यकता को COVID -19 के मद्देनजर कुछ अवधि तक विराम दिया जाए ताकि भोजन की कमी को दूर करने और मौतों को रोकने में मदद मिल सके।

    जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिका पर कहा कि इस तरह की याचिकाओं से पहले कुछ पहल की जानी चाहिए, जैसे कि ऐसे मुद्दों को लेकर सरकार के समक्ष जाना चाहिए।

    पीठ ने कहा,

    "यही तो समस्या है। हम देख रहे हैं कि लोग सरकार केे पास जाए बिना 32 के तहत अदालत में आकर अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं। ऐसी याचिकाओं पर कुछ पहल की जानी चाहिए।"

    वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद जयराम रमेश की ओर से पेश हुए और उन्होंने कहा कि जो लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर वापस चले गए, उन्हें अब समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके राशन कार्ड केवल उस स्थान पर मान्य थे, जहां वे पहले रहते थे।

    खुर्शीद ने कहा,

    " सरकार को "स्वराज अभियान" योजना को लागू करना चाहिए, "यह प्रतिकूल नहीं है ... यह सरकार की मदद करने के इरादे से है।"

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को आश्वासन दिया कि सरकार के समक्ष आने पर इस मुद्दे पर विचार किया जाएगा और इसे उचित सम्मान दिया जाएगा।

    पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि देशव्यापी लॉकडाउन के परिणामस्वरूप भोजन की कमी है और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), 2013 के कार्यान्वयन और अन्य उपायों की आवश्यकता है।

    याचिका में कहा गया है कि अधिनियम, 2013 को सभी राज्यों द्वारा सख्ती से लागू किया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा, "भोजन की पहुंच सुनिश्चित नहीं करने से, राज्य नागरिकों को दिए जाने वाले भोजन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन कर रहा है, इसलिए वर्तमान याचिका की आवश्यकता है।"

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