जम्मू और कश्मीर में प्रतिबंध राष्ट्रहित में, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने अनुराधा भसीन की याचिका में हस्तक्षेप आवेदन दाखिल किया
LiveLaw News Network
24 Aug 2019 2:40 PM IST
जम्मू और कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को हटाने के बाद केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए मीडिया प्रतिबंध और सूचनाओं पर रोक का समर्थन करते हुए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की है।
"प्रतिबंध हैं राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता के हित में"
कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की याचिका में दायर आवेदन में PCI ने यह कहा है कि ये प्रतिबंध "राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता" के हित में हैं। इससे पहले अपनी याचिका में भसीन ने मीडिया प्रतिबंध को चुनौती देते हुए कहा कि ये कदम बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है और उनकी याचिका में इस रोक को हटाने के निर्देश देने की मांग की गई है।
दरअसस PCI, प्रेस काउंसिल अधिनियम 1978 के तहत "प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने और भारत में समाचार पत्रों और समाचार एजेंसियों के मानकों को बनाए रखने और सुधारने" के उद्देश्य से बनाया गया एक वैधानिक निकाय है।
PCI ने हस्तक्षेप आवेदन में बताए अपने कर्तव्य
हस्तक्षेप आवेदन मे PCI का यह कहना है कि उसका कर्तव्य न केवल प्रेस की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना है बल्कि वो "नागरिकता के अधिकारों और जिम्मेदारियों दोनों की भावना को बढ़ावा" देने और किसी भी विकास की समीक्षा करने व संभावनाओं के लिए जनहित और महत्व के समाचारों के प्रसार को प्रतिबंधित करने के लिए बाध्य है।
इसमें यह कहा गया है कि, "संविधान के सबसे विवादास्पद प्रावधान को हटाने, जिसमें राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता के हित में संचार और अन्य सुविधाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है, वो भसीन के अधिकारों का हनन नहीं करता है। "
कश्मीर टाइम्स है राज्य में सबसे ज्यादा वितरित होने वाला अंग्रेज़ी अखबार
जम्मू और श्रीनगर से एक साथ प्रकाशित कश्मीर टाइम्स को 3.5 लाख प्रतियों के दैनिक प्रकाशन के साथ राज्य में सबसे बड़ा परिचालित अंग्रेजी कहा जाता है। भसीन ने कहा कि घाटी में कर्फ्यू लगाने के बाद 4 अगस्त से श्रीनगर संस्करण प्रकाशित नहीं हुआ है।
"प्रतिबंधों से राज्य के निवासियों में घबराहट, असुरक्षा और भय बढ़ा"
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब जम्मू और कश्मीर की स्थिति को लेकर दिल्ली में महत्वपूर्ण राजनीतिक और संवैधानिक परिवर्तन किए जा रहे हैं, इंटरनेट और दूरसंचार बंद कर कश्मीर घाटी में सूचना साझा करने पर गतिशीलता और व्यापक स्तर पर प्रतिबंधों के चलते कश्मीर के निवासियों में घबराहट, असुरक्षा और भय और चिंता बढ़ गई है।
गौरतलब है कि बीते 16 अगस्त को CJI की अगुवाई वाली पीठ ने याचिका पर सुनवाई को 2 हफ्ते के लिए टाल दिया था और यह कहा था कि सरकार को सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए और समय दिया जाना चाहिए।