प्रेमी को छोड़ देना नहीं है अपराध, दिल्ली हाईकोर्ट ने 'दुष्कर्म'के आरोपी को बरी किए जाने को सही ठहराया

LiveLaw News Network

12 Oct 2019 7:43 AM GMT

  • प्रेमी को छोड़ देना नहीं है अपराध,  दिल्ली हाईकोर्ट ने दुष्कर्मके आरोपी को बरी किए जाने को सही ठहराया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रेमी को छोड़ देना, कुछ हद तक घिनौना काम लग सकता है ,परंतु यह कोई अपराध नहीं है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने एक अभियुक्त को बरी किए जाने के फैसले को सही ठहराया है। अभियुक्त पर आरोप था कि उसने शादी का वादा करके एक महिला से दुष्कर्म किया।

    न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने कहा,

    "एक अंतरंग संबंध में लगातार संलिप्त रहना, जिसमें समय की एक महत्वपूर्ण अवधि में यौन गतिविधि भी शामिल रही हों, यह नहीं कहा जा सकता है कि इस संबंध में शामिल होना प्रेरित और अनैच्छिक था, क्योंकि दूसरे पक्षकार ने उससे शादी करने का वादा किया था, केवल इसलिए ऐसा किया गया था।"

    निचली अदालत ने आरोपी को बरी करते हुए यह पाया था कि अभियुक्त को शिकायतकर्ता से शादी न करने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि वह और उसके परिवार के सदस्य शादी के लिए तैयार थे, लेकिन लड़की के माता-पिता नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी आरोपी से शादी करे।

    रिकॉर्ड पर सबूतों की जांच करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि लड़की का दावा है कि उसकी सहमति स्वैच्छिक नहीं थी, बल्कि शादी करने के वादे के बहाने उसे प्रेरित करके उसकी सहमति प्राप्त की गई थी, परंतु यह बात साबित नहीं हो पाई। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में ये टिप्पणियां कीं।

    प्रेमी को छोड़ देना कोई अपराध नहीं है

    "यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि दो वयस्क अगर आपसी सहमति से शारीरिक संबंध स्थापित करते हैं तो यह अपराध नहीं है। एक प्रेमी को छोड़ना कुछ हद तक घृणित काम लग सकता है, परंतु आईपीसी के तहत यह भी एक दंडनीय अपराध नहीं है।"

    'न का मतलब न, हां का मतलब हां'

    "जहां तक यौन संबंध बनाने की सहमति का सवाल है तो अभियान ''नो मिन्स नो (न का मतलब )'',को 1990 के दशक में शुरू किया गया था, जो एक सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत नियम का प्रतीक है। एक मौखिक 'नहीं या नो'यौन क्रिया में संलग्न होने के लिए सहमति नहीं देने का एक निश्चित संकेत है। अब 'नो मीन्स नो' के नियम से लेकर उसे 'यस मीन्स यस' के नियम तक आगे बढ़ाने की व्यापक स्वीकृति है। इस प्रकार, जब तक कि यौन संबंध बनाने के लिए एक सकारात्मक, सचेत और स्वैच्छिक सहमति नहीं है, यह एक अपराध होगा।"

    एक लंबे और अनिश्चित समय तक सेक्स संबंध में संलग्न रहने को शादी के वचन से प्रेरित नहीं माना जा सकता है

    "शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा का क्षण के साथ एक स्पष्ट संबंध होना चाहिए, एक लंबे और अनिश्चित समय तक सेक्स संबंधों में संलग्न रहने को, शादी के वचन से प्रेरित नहीं माना जा सकता है। कुछ मामलों में, शादी करने का वादा ,यौन संबंध स्थापित करने के लिए सहमत होने के लिए एक पक्षकार को प्रेरित कर सकता है, भले ही ऐसा पक्षकार इस सहमति की इच्छा नहीं रखता हो। इसलिए किसी क्षण या पल में दिया गया ऐसा प्रलोभन सहमति प्राप्त कर सकता है, भले ही संबंधित पक्ष न कहना चाहता हो, इसलिए दूसरे पक्ष का शोषण करने के इरादे से दिए गए इस तरह के झूठे प्रलोभन अपराध का गठन करते हैं।


    हालांकि यह स्वीकार करना मुश्किल है कि एक अंतरंग संबंध में लगातार संलिप्त रहना, जिसमें समय की एक महत्वपूर्ण अवधि में यौन गतिविधि भी शामिल रही हो, यह नहीं कहा जा सकता है कि इस संबंध में शामिल होना प्रेरित और अनैच्छिक था क्योंकि दूसरे पक्षकार ने उससे शादी करने का इरादा व्यक्त किया था,केवल इसलिए ऐसा किया गया था। "

    फैसले की कॉपी डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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